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मेहनतकश : बनना चाहते थे पुलिस अधिकारी, गरीबी ने सपनों पर फेरा पानी

अशोक तिवारी
कहते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा दुख गरीबी है। एक बार जीवन में गरीबी आ गई तो बाकी दुख अपने आप चले आते हैं। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के सेवराई तहसील के रकसहा गांव के रहनेवाले मोहम्मद क्यामुद्दीन इलियास खान की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। मोहम्मद क्यामुद्दीन बताते हैं कि उनके पिता मोहम्मद इलियास खान एक किसान थे। परिवार में चार भाई और चार बहनें थीं। आय का साधन किसानी होने की वजह से परिवार में गरीबी का संकट हरदम बना रहता। भाइयों में सबसे बड़े मोहम्मद क्यामुद्दीन के मामा बिहार पुलिस विभाग में कार्यरत थे। मोहम्मद क्यामुद्दीन भी अपने मामा की तरह पुलिस अधिकारी बनना चाहते थे इसलिए वह अपनी फिटनेस पर ज्यादा ध्यान देते थे, लेकिन परिवार की माली हालत ठीक न होने के कारण पिता उन्हें १२वीं तक ही शिक्षा दिला सके। इसके बाद १९९५ में वो अपने चाचा के पास मुंबई आ गए। मुंबई में उनके चाचा का होटल था। कुछ दिनों तक चाचा के होटल की देखभाल करने के बाद उन्हें अपना खुद का बिजनेस करने का आइडिया आया। इसके बाद उन्होंने पैâशन स्ट्रीट में जींस की दुकान खोली, लेकिन कुछ दिनों बाद ही महानगरपालिका ने दुकान तोड़ दी। इसके बाद मोहम्मद क्यामुद्दीन बेरोजगार हो गए। खैर, मुंबई के तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक आफताब खान ने सीडी की कॉपीराइट करनेवालों के विरुद्ध अभियान चलाने के लिए एए खान एंड एसोसिएशन नामक कंपनी खोली, जिसमें मोहम्मद क्यामुद्दीन शामिल हो गए। कुछ वर्षों तक कॉपीराइट में काम करने के बाद मोहम्मद क्यामुद्दीन पत्रकारों के संपर्क में आए और उन्होंने पत्रकारिता शुरू कर दी। पिछले १० वर्षों से मोहम्मद क्यामुद्दीन अपना खुद का साप्ताहिक अखबार ‘गुनाह टाइम्स’ निकाल रहे हैं। मोहम्मद क्यामुद्दीन बताते हैं कि उन्होंने अपनी दो छोटी बहनों और तीन छोटे भाइयों का विवाह करवाया, क्योंकि उनके पिताजी को लकवा मार गया था, जिनका उन्होंने मुंबई में करीब ६ वर्षों तक इलाज करवाया। पिता के गुजरने के बाद परिवार की जिम्मेदारी उठाने में मोहम्मद क्यामुद्दीन इतने व्यस्त हो गए कि उन्होंने जिम्मेदारी पूरी करने के बाद ३६ वर्ष की उम्र में विवाह किया। अपने दो बेटों को पढ़ा-लिखा कर डॉक्टर और आईपीएस बनाना चाहते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा ही वह हथियार है, जिससे आदमी को गरीबी से निजात मिल सकती है। इसलिए हर आदमी को अपनी संतान को उच्च शिक्षा जरूर प्रदान करनी चाहिए, क्योंकि उच्च शिक्षित समाज ही देश को तरक्की के रास्ते पर ले जा सकता है।

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