सगीर अंसारी
कहा जाता है कि मुंबई में लोग भूखे उठते हैं पर सोते नहीं। मुंबई में रहनेवाले लोग भले ही अपने कार्यों में कितने भी मसरूफ क्यों न रहें, वे हमेशा अपनों के सुख-दुख में शामिल होते हैं। गोवंडी के कमलारामन नगर में रहनेवाले मोहम्मद शफीक खान भी एक ऐसे ही व्यक्ति हैं, जिनका संबंध उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के रास्तामो गांव से है। १९८१ में गांव में पैदा हुए शफीक खान के घर की हालत ठीक न होने की वजह से उनके पिता वहीद खान १९८४ में रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई आए और गोवंडी में फल बेचने का काम शुरू किया। होश संभालने के बाद अपने पिता का हाथ बटाने के लिए वर्ष १९९० में मोहम्मद शफीक खान मुंबई आए और काफी कम उम्र में ही अपने चाचा के साथ फल बेचने का काम उन्होंने शुरू किया। शफीक खान का कहना है कि कमलारामन नगर में रहने के दौरान क्षेत्र के हालात काफी खराब होने की वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से उन्होंने अपने काम के साथ-साथ लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए जनप्रतिनिधियों का सहारा लेकर अपनी कोशिशें शुरू कीं। शफीक खान २०१० में शिवसेना में शामिल हो गए और यहीं से उनकी समाजसेवा का कारवां शुरू हुआ। पत्नी सहित चार बेटे व चार बेटियों के काफी बड़े परिवार से ताल्लुक रखनेवाले शफीक खान समाजसेवा से पीछे नहीं हटे। क्षेत्र की साफ-सफाई व शिक्षा के लिए शफीक खान हमेशा लड़ते रहे। शफीक खान बताते हैं कि बैगनवाड़ी जैसी घनी आबादी वाले क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या गंदगी के लिए बिना किसी स्वार्थ के मनपाकर्मियों के साथ खुद नालियों व गटरों में उतरकर क्षेत्र को साफ-सुथरा रखने की कोशिश उन्होंने की। क्षेत्र के गरीब विद्यार्थियों की शिक्षा को आसान बनाने के लिए हर वर्ष कॉपी-किताबों सहित स्कूल में लगने वाली जरूरत की चीजें वे छात्रों में बांटते आ रहे हैं। इसके अलावा जरूरतमंदों को राशन, ईद व दिवाली जैसे त्योहारों पर शक्कर व सेंवई सहित जरूरी सामान बंटवाने में अहम किरदार निभाते आ रहे हैं। कोरोना के दौरान अप्रवासी मजदूरों को खाना पहुंचाया। इसके साथ ही सैकड़ों मजदूरों को उनके गांव भेजने में अहम भूमिका निभाई। लोगों के इलाज के लिए मेडिकल वैंâप लगवाए। तेज बारिश के दौरान क्षेत्र में सही ढंग से साफ-सफाई न होने की वजह से खुद गटर में उतरकर उन्होंने उसकी सफाई की, ताकि लोगों के घरों में पानी न भरे। आज बिना फायदे के लोग जहां किसी से मिलना पसंद नहीं करते, वहीं शफीक खान दिल में समाज सेवा का जज्बा रखकर लोगों की मदद कर इंसानियत को जिंदा रखे हुए हैं।