मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनामेहनतकश : गरीबी से निकल जगा रहे शिक्षा की अलख

मेहनतकश : गरीबी से निकल जगा रहे शिक्षा की अलख

सगीर अंसारी

कहते हैं शिक्षा किसी की मोहताज नहीं होती। शिक्षा के बल पर इंसान फर्श से अर्श तक पहुंच जाता है। इसी कड़ी में डॉक्टर सत्तार खान ने भी गरीबी झेलते हुए शिक्षा ग्रहण की और आज उच्च मुकाम तक पहुंच गए हैं। वे जब छोटे थे तब अपनी मां के साथ वर्ष १९७४ मैं मुंबई आए। यहां आने के बाद वे कुर्ला इलाके में अपने मामा के घर पर रहकर चौथी कक्षा से पढ़ाई शुरू की। बाद में चेंबूर के मुक्तानंद हाई स्कूल से दसवीं की परीक्षा देने के बाद वे यशवंत राव चव्हाण मुक्त विद्यापीठ से बीए तक की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमए किया। इसी तरह वर्ष २०१८ में एलएलबी भी पूरा किया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी में प्रवेश किया। डॉ. सत्तार खान के अनुसार, उन्होंने सबसे पहले तत्कालीन विधायक व महाराष्ट्र राज्य के शिक्षा मंत्री प्रो. जावेद खान के साथ कार्यकर्ता के रूप में काम शुरू किया। इसी दौरान सत्तार खान की शादी हुई और वे चार बच्चों के पिता बने, जिनमें दो पुत्र और दो पुत्री हैं। डॉक्टर सत्तार खान ने उन्हें भी उच्च शिक्षा दिलाई। अपने बच्चों की परवरिश के साथ-साथ डॉ. सत्तार खान ने समाज में अनेक बच्चों की शिक्षा के लिए भी काम किया, जिनमें से कुछ इंजीनियर तो कुछ एडवोकेट बनकर कार्य कर रहे हैं। सामाजिक कार्यों के दम पर डॉ. सत्तार खान को साल २०१८ में कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि मिली। शिक्षा व सामाजिक कार्यों में रुचि रखनेवाले डॉ. सत्तार खान को दिल्ली स्थित वर्ल्ड ह्यूमन राइट यूनिवर्सिटी की तरफ से वर्ष २०२२ में दोबारा पीएचडी से नवाजा गया। एडवोकेट के तौर पर अदालत में प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टर सत्तार खान ने कांग्रेस पार्टी के रोजगार एवं स्वयंरोजगार सेल के मुंबई महासचिव पद पर रहकर अनेक बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलवाया। उनके इस कार्य में मुंबई कांग्रेस कमेटी अध्यक्षा प्रो. वर्षा गायकवाड का भी काफी सहयोग मिला, साथ ही पार्टी में रहकर उन्होंने स्थानीय रहिवासियों की समस्याओं को लेकर अधिकारियों व नेताओं के सामने आवाज बुलंद की। लोगों की चाहे छोटी समस्या हो या बड़ी, वे कभी भी सहायता करने से पीछे नहीं हटे। लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनके हक की लड़ाई लड़ी। कई शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े हुए डॉ. सत्तार खान ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़कर अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। गोवंडी और चेंबूर रेलवे स्टेशन के बीच में रेलवे लाइन पार करने के दौरान कई विद्यार्थियों और नागरिकों की जान चली जाती थी, इस जगह पर पादचारी पुल के निर्माण को लेकर उन्होंने ७ वर्षों तक संघर्ष किया। आखिरकार, वहां पुल बनवाकर ही दम लिया।

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