मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : इंजीनियर मिश्रा ने बढ़ाया समाज का सम्मान!

मेहनतकश : इंजीनियर मिश्रा ने बढ़ाया समाज का सम्मान!

अनिल मिश्र

अपनी कठोर मेहनत के बलबूते इंजीनियर बनकर समाज में अपने परिवार का मान-सम्मान बढ़ानेवाले विजय मिश्रा बताते हैं कि १९६० में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मड़ियाहूं तहसील के गनापुर गांव से उनके दादा लालचंद मिश्रा मुंबई आए। मुंबई में मनमुताबिक काम न मिलने के कारण दादा लालचंद मिश्रा अपने गांववालों के पास भिवंडी में रहने लगे। इसके बाद सेंचुरी रेयान कंपनी में किसी तरह उनकी नौकरी लग गई। उल्हासनगर को अपनी कर्मभूमि बनानेवाले उनके दादा के बाद उनके पिता ने सेंचुरी रेयान कंपनी में कार्य करते हुए अपने परिवार को सम्मानजनक स्थान दिलाया। कंपनी के ही विद्यालय सेंचुरी रेयान हाई स्कूल से दसवीं तक पढ़नेवाले विजय मिश्रा कॉमर्स से ग्रेजुएशन करना चाहते थे लेकिन पारिवारिक दबाव के चलते उन्होंने इंजीनियरिंग करने के लिए मुलुंड, ठाणे, दिवा के पॉलीटेक्निक कॉलेज में एडमिशन लेने का प्रयास किया, लेकिन रायगढ़ जिले के भीवपुरी स्टेशन के समीप तासगावकर कॉलेज में उन्होंने इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन ले लिया। प्रथम वर्ष में उन्हें पढ़ाई में काफी मेहनत करनी पड़ी। परीक्षा में एटीकेटी लगने के कारण अंतिम वर्ष में उनके सामने समस्या पैदा हो गई एटीकेटी के साथ सभी पेपर को निकालना। अन्यथा एक वर्ष तक ड्रॉप लगाने का खतरा था। चालीस हजार प्रति वर्ष की फीस थी। पिताजी कभी फंड तो कभी सोसायटी निकालकर फीस भरते रहे। विजय को चिंता सता रही थी कि आर्थिक तंगी में चालीस हजार का बोझ कहीं पिता पर न पड़ जाए। काफी मेहनत कर दो वर्षों के एटीकेटी के विषयों को पास करते हुए उन्होंने अंतिम वर्ष के सभी विषय पास कर लिए। डिप्लोमा के बाद स्थिति आई कि इंजीनियरिंग वैâसे करें? आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी इसलिए बैंक से एज्युकेशन लोन लेकर धुलिया के सिरपुर में मुकेश इंजीनियरिंग कॉलेज से विजय ने आईटी इंजीनियरिंग की और ठाणे के पीआरडी एक्शन में दस हजार रुपए की नौकरी करने लगे। दस हजार रुपए में एज्युकेशन लोन की किस्त भरने के साथ ही ठाणे आने-जाने का खर्च भरी पड़ रहा था। विक्रोली में पगार बढ़ाकर काम तो मिला परंतु ठाणे की कंपनी ने दो साल का अनुबंध करवाया था इसलिए कंपनी रिलीव लेटर देने में आनाकानी करने लगीr। आखिर में एक साल का पैसा भरने के बाद रिलीव लेटर दिया गया। उसके बाद दिन बदले। वैâप जेमिनी में काम करने के बाद वेतन बढ़ा। अब काम करने के साथ ही सम्मानजनक वेतन मिलने लगा। इंजीनियर बनने के बाद आर्थिक स्थिति मजबूत होने के कारण कोरोना जैसी विकट स्थिति में भी विजय सुदृढ़ रहे। चचेरे भाई-बहन और बहन के लड़के का आज वे शिक्षा में मार्गदर्शन कर रहे हैं। विजय का छोटा भाई बीएससी, आईटी से पढ़ाई कर आईटी फील्ड में नौकरी कर रहा है। अपनी स्थिति को मजबूत कर अपने परिवार को भी सहारा देनेवाले विजय परिवार व रिश्तेदारों को उच्च शिक्षा दिलाने के पक्ष में हैं। विजय कहते हैं कि उच्च शिक्षा के बाद सभी लोगों का जीवन स्तर सुधर जाएगा।

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