मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : डॉक्टर बन कर रहे लोगों की सेवा

मेहनतकश : डॉक्टर बन कर रहे लोगों की सेवा

राधेश्याम सिंह

संभाजी नगर जिले के एक छोटे से गांव में रहनेवाले ज्ञानेश्वर भगवान टिपरे एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से आते हैं। वे पढ़ाई में बहुत होशियार थे। गरीब परिवार में जन्मे ज्ञानेश्वर टिपरे डॉक्टर बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने सन १९९६ में बाबासाहेब आंबेडकर यूनिवर्सिटी, संभाजीनगर, मराठवाड़ा में बीएमएस में एडमिशन लिया। कड़ी मेहनत और लगन से दिन-रात मेहनत करके बीएमएस की डिग्री सन २००० में प्राप्त की। उसके बाद वे आगे की पढ़ाई करना चाह रहे थे, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण वे आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। टिपरे एक छोटा सा क्लिनिक खोलना चाहते थे, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण क्लिनिक नहीं खोल पा रहे थे। अथक प्रयास के बाद उन्होंने एक छोटा-सा क्लिनिक शुरू किया और आयुर्वेदिक पद्धति से लोगों का इलाज कर रहे हैं। धीरे-धीरे अपना क्लिनिक संभालते हुए वे समाजसेवा करने लगे। गरीबों का फ्री इलाज करनेवाले डॉ. टिपरे गरीब व असहायों का मसीहा बन गए। बीएएमएस की डिग्री लेने के बाद पिछले २४ सालों से प्रैक्टिस करनेवाले डॉ. ज्ञानेश्वर टिपरे ने २०१० में एक्यूप्रेशर में एमडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद एक्यूप्रेशर से कई भयानक बीमारियों का सरलता से उपचार करके मरीजों को ठीक किया है। सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से सैकड़ों जगह आयुर्वेदिक इलाज और एक्यूप्रेशर का फ्री में कैंप लगा चुके हैं। उनके यहां जो मरीज आता है वह सब जगह से थक-हार करके परेशान होकर इलाज करवाने के लिए आता है और ठीक होकर जाता है। सामाजिक संस्थाओं द्वारा डॉ. टिपरे को कई पुरस्कार मिल चुके हैं। डॉ. टिपरे आयुर्वेदिक के साथ-साथ एक्यूप्रेशर से भी मरीजों का इलाज करते हैं। कई असाध्य बीमारियों का इलाज करके मरीजों को ठीक करनेवाले डॉ. टिपरे के व्यापक अनुभव और गहन ज्ञान ने उन्हें विभिन्न रोगों और लक्षणों का उपचार करने में सक्षम बनाया है, जिससे अनगिनत रोगियों को राहत और स्वास्थ्य प्राप्त हुआ है। डॉ. टिपरे की उपचार योजनाओं और प्राकृतिक उपचार पर जोर देने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उन्हें आयुर्वेद के क्षेत्र में एक विश्वसनीय और सम्मानित व्यक्ति बनाती है। डॉ. ज्ञानेश्वर अपने अडिग समर्पण के साथ आयुर्वेद के सिद्धांतों के प्रति लोगों को प्रेरित करते रहते हैं।

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