मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : बेटियों को बनाना चाहते हैं, सीए, सीएस और डॉक्टर

मेहनतकश : बेटियों को बनाना चाहते हैं, सीए, सीएस और डॉक्टर

अमर झा

सपनों की नगरी मुंबई की चकाचौंध हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है और यहां की चकाचौंध से प्रभावित होकर लोग खुद-ब-खुद मुंबई खिंचे चले आते हैं। ऐसे ही बिहार के मधुबनी जिले के बेलोंजा गांव के रहनेवाले संजय कुमार राय १९९६ में मुंबई देखने और घूमने आए थे। मुंबई की चकाचौंध से प्रभावित होकर बेलोंजा गांव से १२वीं तक शिक्षा प्राप्त करनेवाले संजय कुमार राय एक बार मुंबई क्या आए, यहीं के होकर रह गए। अपनी मेहनत से अपना मुकाम हासिल करनेवाले संजय कुमार राय कहते हैं कि किसान का बेटा होने के कारण मैं पढ़ाई के साथ-साथ खेती भी करता था, हल चलता था। एक साधारण परिवार और किसान का बेटा होने के कारण घर में जो कुछ सुविधाएं नहीं थीं, उन्हें मैंने मुंबई में आकर हासिल की। संजय कुमार राय बताते हैं कि मुंबई पहुंचने के बाद मेहनत का दौर शुरू हुआ और पेट पालने के लिए गोरेगांव में एक ड्रायफ्रूट की दुकान पर काम करने लगा। लंबे समय तक काम करने के बाद किसी बात को लेकर जब ड्रायफ्रूट की दुकान पर काम छूटा तो उन्होंने एक टेलर की दुकान पर काम पकड़ लिया, लेकिन टेलर की दुकान पर भी बहुत दिनों तक संजय कुमार राय नहीं टिक पाए क्योंकि इसी बीच उन्हें एक प्लाय बनानेवाली कंपनी के ऑफिस में काम मिल गया। जीवन का सिलसिला इसी तरह चल रहा था और संजय कुमार राय के मन में कुछ नया यानी अपना कारोबार करने का विचार मन में लगातार चलता रहता था। अंतत: सन् २००६ में संजय कुमार राय इंश्योरेंस कंपनी से जुड़ गए। इंश्योरेंस कंपनी से जुड़ने के बाद उनकी मेहनत रंग लाई और उनकी मेहनत का यह परिणाम हुआ कि संजय कुमार राय तीन बार इंश्योरेंस के क्षेत्र में एमडीआरटी पद तक पहुंचे जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। संजय कुमार राय कहते हैं कि १८ वर्षों में मैंने अपना स्थान बना लिया है और २०२० में मैंने संजय राय कंसल्टेंसी नामक कंपनी बनाई, जिसका ऑफिस क्वींस पार्क मीरा रोड (पूर्व) के पूनम ऑर्बिट बिल्डिंग में स्थित है। सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेनेवाले संजय कुमार राय मैथिली समाज के किसी भी कार्यक्रम में बिना बुलाए चले जाते हैं। मैथिली भाषा के लिए हमेशा से समर्पित रहनेवाले संजय कुमार राय कहते हैं कि मुंबई ने मुझे वो सब कुछ दिया, जिस किसी भी चीज की कल्पना मैंने की थी। अब मैं अपना एक सपना साकार करना चाहता हूं। इस सपने के अंतर्गत मैं अपनी तीनों बेटियों को सीए, सीएस एवं डॉक्टर बनाना चाहता हूं और यह मेरा संकल्प है।

अन्य समाचार