संदीप पांडेय
इंसान अगर चाहे तो जीवन में क्या नहीं कर सकता। अपनी मेहनत और सफलता के बलबूते वो हर चीज हासिल कर सकता है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के सुजानगंज के मूल निवासी बिपिन मिश्रा की जिंदगी भी संघर्ष और सफलता की मिसाल है। १९९७ में बेहतर भविष्य की तलाश में मुंबई आए बिपिन मिश्रा के पिता का ऑटो फाइनेंस का कारोबार अच्छी तरह से चल रहा था, लेकिन परमिट बंद होने के बाद यह कारोबार ठप हो गया। इससे न केवल परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगा गई, बल्कि घर की जिम्मेदारी बिपिन के कंधों पर आ गई।
कम उम्र में ही बिपिन ने काम की तलाश शुरू कर दी। चॉकलेट की एक पैâक्ट्री में काम करने के कारण वह अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके। लेकिन पढ़ाई के साथ ही उन्होंने सुबह-सुबह घर-घर दूध बांटने का काम शुरू किया, ताकि वो परिवार की मदद कर सकें। स्कूल से लौटने के बाद वह देर रात तक कल्याण (प.) स्थित शिवाजी चौक पर आइसक्रीम बेचते थे। इतनी मेहनत और संघर्ष के बाद भी बिपिन के संघर्ष का भले ही अंत नहीं हुआ, लेकिन उनके हौसले बुलंद थे। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी अथक मेहनत और प्रयासों से वे लगातार आगे बढ़ते रहे। धीरे-धीरे बिपिन ने ‘श्रीराम जानकी’ नाम से रियल एस्टेट का काम शुरू किया। अपनी लगन और कड़ी मेहनत के बलबूते वो एक सफल व्यवसायी बन गए। अपनी मेहनत के बलबूते खड़ा किया गया व्यवसाय आज अच्छे मुकाम पर है। व्यवसाय के साथ ही धीरे-धीरे बिपिन मिश्रा समाज सेवा की ओर प्रेरित हुए और ‘राधा कृष्ण अभियान समिति’ और ‘न्यू एकता मित्र मंडल’ नामक सामाजिक संगठनों के माध्यम से उन्होंने जरूरतमंदों की मदद करना शुरू कर दिया। समय-समय पर मुफ्त ब्लड चेकअप, ब्लड डोनेशन, प्रâी आई चेकअप और चश्मा वितरण जैसे कार्यक्रम बिपिन मिश्रा आयोजित करते हैं। इसके अलावा गरीबों और बुजुर्गों को राशन देकर उनकी मदद भी करते हैं। बिपिन का मानना है कि मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा और सबसे बड़ा धर्म है। दो बच्चों के पिता बिपिन मिश्रा का बेटा नौवीं में और बेटी ११वीं कक्षा में पढ़ती है। बिपिन मिश्रा अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर बनाना चाहते हैं, ताकि वो भी बड़े होकर समाज की सेवा कर सकें।