अशोक तिवारी
कठिन परिस्थितियों के बावजूद हुए कामयाब
शराब की लत कितनी बुरी होती है, यह वही व्यक्ति जान सकता है जिसका किसी शराबी से जिंदगी में पाला पड़ा हो। महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के रहनेवाले प्रीतम कुमार गोवर्धन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। प्रीतम कुमार कहते हैं कि उनकी माता का देहांत तब हुआ था, जब वह मात्र १० वर्ष के थे। गोवर्धन के पिता प्रेम गोवर्धन सेना के जवान थे। सेना से रिटायर होने के बाद वह रेलवे में नौकरी करने लगे। प्रीतम कुमार की माता का देहांत होने के बाद उनके पिता को शराब पीने की इतनी लत लग गई कि वे दिन-रात नशे में डूबे रहते। परिवार और बच्चों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते। कई-कई दिनों तक घर में भोजन की भी व्यवस्था नहीं हो पाती थी। पिता की प्रताड़ना से तंग आकर उनका ८ वर्ष का छोटा भाई घर छोड़कर भाग गया, जिसका आज तक कहीं पता नहीं चल सका। पिता के जुल्म और ज्यादतियों से परेशान होकर प्रीतम कुमार मात्र १६ वर्ष की आयु में चंद्रपुर छोड़कर मुंबई आ गए। मुंबई में दादर रेलवे स्टेशन पर उन्होंने फेरी का काम करना शुरू किया और दादर के तिलक ब्रिज के नीचे रात में पढ़ाई करते थे। जैसे-तैसे उन्होंने यशवंत राव यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन तक शिक्षा प्राप्त की। उसके बाद प्रीतम कुमार गोवर्धन एलएलबी की पढ़ाई कर एडवोकेट बन गए। पिता की जिम्मेदारी खुद उठाते हुए प्रीतम कुमार गोवर्धन ने अपनी दो छोटी बहनों का विवाह खुद किया, लेकिन छोटे भाई के खो जाने का दुख प्रीतम कुमार के चेहरे पर आज भी साफ दिखाई देता है। ईश्वर के अनन्य भक्त प्रीतम कुमार ने पूरे भारत में धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया और आज एक सफल वकील के तौर पर खुद को स्थापित कर लिया है। बचपन में गरीबी और जिल्लत झेल चुके प्रीतम कुमार गोवर्धन के मन में बचपन से ही समाज सेवा की भावना थी इसलिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन की और आज मुंबई कांग्रेस ने उन्हें सोशल मीडिया विभाग का समन्वयक बनाया है। प्रीतम कुमार गोवर्धन अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर उच्च अधिकारी बनाना चाहते हैं। मुंबई शहर में नशा मुक्ति अभियान व्यापक रूप से चलानेवाले प्रीतम कुमार का मानना है कि शराब की लत नशा करनेवाले व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर देती है इसलिए नशे से हर व्यक्ति को हमेशा दूर रहना चाहिए।