अनिल मिश्र
आज की भीगदौड़ भरी जिंदगी में बहुत कम लोग ही ऐसे हैं जो बिना किसी चाह के समाज की सेवा करते हैं। गंगासागर मिश्रा ऐसे व्यक्ति हैं, जो कड़ी मेहनत से परिवार को एक मुकाम तक पहुंचाने के बाद अब धार्मिक व सामाजिक कर्तव्य को निभा रहे हैं। इन्हीं कार्यों के चलते वे आज समाज व परिवार में सम्मान के पात्र बने हुए हैं। गंगासागर मिश्रा बताते हैं कि उनकी जन्मभूमि उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में स्थित ग्राम बेलाही पोस्ट लंभुआ है। गांव में रहते हुए वे कबड्डी, कुश्ती के शौकीन थे। उनके पिता कोलकाता में सेंट्रल बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। पिता का १९ जनवरी १९८४ को स्वर्गवास हो गया। गंगासागर मिश्रा ने बारहवीं की परीक्षा पास कर बीए में प्रवेश लिया। उज्जवल भविष्य के बारे में सोच कर गंगासागर मिश्रा काम की खोज में मुंबई आ गए। यहां उन्होंने उल्हासनगर में एक लूम की फैक्टरी में काम करना शुरू किया और बाद में वे अपने कठिन परिश्रम से सुपरवाइजर बन गए। साल २००६ तक लूम लाइन में रहे। उसके बाद लूम लाइन को छोड़कर लोगों का मेडिक्लेम कराने लगे। गुजरात के वापी में सुरक्षारक्षक विभाग में मैनेजर के पद पर भी काम किया। उसके बाद खुद का निजी सुरक्षरक्षक का व्यवसाय शुरू किया। इसी दौरान व्यवसाय में उतार-चढ़ाव भी आया, इसके बावजूद वे हिम्मत नहीं हारे। गंगासागर मिश्रा के दो बेटे हैं। बड़ा बेटा बीएससी की पढ़ाई करने के बाद हार्डवेयर लाइन में काम करने लगा। वह आज दिल्ली में सेल्स मैनेजर है, जबकि छोटा बेटा एम.कॉम की पढ़ाई कर सीए का काम कर रहा है। गंगासागर मिश्रा अब अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी को पूरा कर सामाजिक कार्य में लगे हुए हैं। ब्राह्मण एकता फाउंडेशन, परशुराम ब्राह्मण परिवार, देशी काऊ क्लब, मुंबई जैसी संस्था के माध्यम से न केवल समाज बल्कि गौ माता की सेवा भी कर रहे हैं। इसके आलावा वे पर्यावरण सुधार के लिए वृक्षारोपण करने जैसा पुनीत कार्य भी करते हैं। गंगासागर मिश्रा का मानना है कि देश में पड़ती भीषण गर्मी को कम करने के लिए यह जरूरी है कि हर व्यक्ति कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाए। इस तरह की जनजागृति वे समाज में फैला रहे हैं।