मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : जिंदगी के झंझावतों से जूझते हुए हासिल किया मुकाम  

मेहनतकश : जिंदगी के झंझावतों से जूझते हुए हासिल किया मुकाम  

सगीर अंसारी

दुनिया में ऐसे लोग भी हैं, जो अपनी मेहनत की बदौलत असंभव को भी संभव बना देते हैं। ऐसे ही एक शख्सियत हैं अयूब सिद्दीकी, जो कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के एक छोटे से गांव बिटोरा में पैदा हुए। इनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाए, लेकिन घरेलू हालात को देखते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई का सफर समाप्त कर दिया और मात्र १२ वर्ष की उम्र से ही खेतों में मजदूरी करने लगे। दिनभर मजदूरी करने के बाद भी घर की जरूरतें पूरी नहीं हो सकी तो वे वर्ष १९९० में अपनी किस्मत आजमाने के लिए मुंबई चले आए। यहां पर भी स्थिति ठीक न होने के चलते वे वापस अपने गांव चले गए और वहां फिर से एक बार मेहनत-मजदूरी शुरू कर दी। लेकिन इस बार भी हालातों से समझौता कर वे वर्ष १९९२ में फिर मुंबई आ गए और पावरलूम में मजदूरी का काम करने लगे। करीब २ साल तक पावरलूम में काम करने के बाद उन्हें ऐसा लगा कि अगर उनके हाथ में हुनर हो तो वे कुछ भी कर सकते हैं, ऐसे में उन्होंने सिलाई का काम सीखा। करीब २ साल की कड़ी मेहनत के बाद जब वे कारीगर बन गए तो उन्होंने अपनी खुद की टेलर की दुकान खोल ली और अपना कारोबार शुरू किया। जब वे अपने पैर पर खड़े हो गए तो उनके माता-पिता ने उनकी शादी करा दी। इसके बाद अयूब सिद्दीकी अपनी पत्नी को लेकर मुंबई आ गए और किराए के रूम में रहने लगे। इसी दौरान अयूब सिद्दीकी को ६ बच्चे हुए। काफी मेहनत करके उन्होंने सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा दी। अयूब सिद्दीकी की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्हें अपना घर-परिवार संभालना मुश्किल होने लगा। इसके बाद उनके एक रिश्तेदार ने इनको सहारा देते हुए अपने एक पोल्ट्री फार्म में देखभाल के लिए रखा। तकरीबन ६ से ८ साल तक पोल्ट्री फार्म में काम करने के बाद अयूब सिद्दीकी ने खोपोली के मुरकुटवाड़ी गांव में ‘अरमान’ पोल्ट्री फार्म के नाम से अपना खुद का पोल्ट्री फार्म शुरू किया, जिसमें उन्हें कामयाबी भी मिली और तीन से चार वर्षों तक पोल्ट्री फार्म चलाने के बाद वह पोल्ट्री फार्म को छोड़कर वापस मुंबई आ गए और एक एडवोकेट सिराज अंसारी के पास उनके कार्यालय में काम करने लगे। इसी दौरान अयूब सिद्दीकी ने शिवाजी नगर के आदर्श नगर झोपड़पट्टी में अपना खुद का घर ले लिया इसी दौरान अयूब सिद्दीकी की मुलाकात दोस्त वहाब से हुई और यहीं से अयूब सिद्दीकी ने राजनीति में कदम रखा। वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के माध्यम से जनता की सेवा करने लगे और लोगों की छोटी-ब़ड़ी सभी समस्याओं का समाधान करने लगे।

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