प्रेम यादव
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के छोटे से गांव बीरमपुर में १९८७ में पैदा हुए रविकांत सिंह का जीवन संघर्ष, सेवा और समर्पण की मिसाल है। तीसरी कक्षा तक गांव में पढ़ाई करनेवाले रविकांत सिंह के परिवार ने बेहतर भविष्य की तलाश में मुंबई का रुख किया और मुंबई आने के बाद रविकांत ने स्वामी विवेकानंद स्कूल, भायंदर से अपनी दसवीं की पढ़ाई पूरी की। शिक्षा के प्रति गहरी रुचि रखनेवाले रविकांत सिंह ने कांदिवली के ठाकुर कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल की।
रविकांत के पिता हृदय नारायण सिंह एक सफल रियल एस्टेट व्यवसायी हैं, जबकि इनकी माता आशा सिंह एक कुशल गृहिणी, जिन्होंने परिवार को अच्छे संस्कार और नैतिक मूल्य दिए। रविकांत सिंह के दो छोटे भाई भी अपने-अपने क्षेत्र में सफल हैं। एक भाई बैंक मैनेजर है और दूसरा व्यवसायी। पारिवारिक जीवन में अहम योगदान देनेवाले रविकांत की उच्च शिक्षित पत्नी गृहस्थी की जिम्मेदारियां संभालती हैं। रविकांत अपने दोनों बच्चों अंश सिंह और अंशु सिंह को भविष्य में डॉक्टर बनाना चाहते हैं। १७ वर्षों से मेडिकल क्षेत्र में काम करते हुए रविकांत सिंह ने समाज सेवा को अपना ध्येय बना लिया है। भायंदर के प्रतिष्ठित सक्सेना चिल्ड्रन हॉस्पिटल से जुड़कर रविकांत सिंह ने अस्पताल प्रबंधन का काम संभाला। उन्होंने न केवल अस्पताल के दैनिक कार्यों का प्रबंधन किया, बल्कि जरूरतमंद मरीजों को समय पर उचित चिकित्सा सुविधा दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ ही इन्होंने अपने मित्र नामवर सिंह के साथ मिलकर एक ट्रैवल स्टार्टअप, हायर कैब की स्थापना की, जो लोगों को पर्यटन के लिए गाड़ियां उपलब्ध कराती है। समाज सेवा की ओर इनका झुकाव बचपन से ही रहा। ओमकार मित्र मंडल और महाराजे प्रतिष्ठान जैसी समाजसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर उन्होंने विभिन्न सामाजिक कार्यों में भाग लिया। होली मिलन समारोह और गणेशोत्सव जैसे कार्यक्रमों में वो अग्रणी भूमिका निभाते हैं। इनकी सबसे बड़ी पहचान एक ऐसे व्यक्ति के रूप में है जो जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। रविकांत सिंह का मानना है कि खुद को व्यस्त रखना और दूसरों की सेवा करना ही सच्ची खुशी है। समाज में इनके इस सेवा भाव के कारण लोगों का इन पर अटूट विश्वास है। सेवा ही ईश्वर की सच्ची पूजा है, सिद्धांत को माननेवाले रविकांत सिंह की यही विशेषता उन्हें एक सर्वसम्मानित व्यक्तित्व बनाती है।