मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनामेहनतकश : कठिन परिस्थितियों में सीए बन बच्चों को दिलाई उच्च शिक्षा

मेहनतकश : कठिन परिस्थितियों में सीए बन बच्चों को दिलाई उच्च शिक्षा

अमर झा

परिस्थितियां चाहे जितनी भी कठिन क्यों न हों सफल होने की जिद इंसान को मंजिल तक पहुंचा ही देती है। हम बात कर रहे हैं सीए अशोक झा की, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए आखिरकार अपनी जिद को पूरा कर सीए की डिग्री पा ही ली। अशोक झा बताते हैं कि मैं बिहार के सीतामढ़ी जिला के कोरयाही गांव का रहनेवाला हूं। मेरे पिताजी मुंबई बीएसटी में साधारण पद पर कार्यरत थे। हम पांच भाई-बहन थे और इतने बड़े परिवार का खर्च मुंबई में उठाना थोड़ा कठिन था। अत: हमारी स्कूली शिक्षा गांव में हुई। आगे की पढ़ाई के लिए १९८२ में मैं मुंबई आ गया और पिताजी के साथ कांदिवली स्थित पोइसर इलाके में रहने लगा। मुंबई से ही बी. कॉम करने के बाद सीए की पढ़ाई पूरी की। आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी इसलिए जॉब करते हुए मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की। हमारे घर में शिक्षा का बहुत महत्व है। अपने बच्चों को मैंने शुरू से ही अच्छी पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया। यही कारण है कि मेरी बड़ी बेटी ने सीए, दूसरी बेटी ने एम. फार्मा और बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। मुझे बचपन से ही सामाजिक कार्यों में रुचि थी। अत: यही कारण है कि मुंबई आने के बाद भी मैं यहां सामाजिक कार्यों से जुड़ा हुआ हूं। गरीब विद्यार्थियों को यथासंभव मदद के साथ-साथ मार्गदर्शन भी देता रहता हूं। अपने सनातन धर्म की रक्षा करने हेतु सनातन धर्म के महत्व को लोगों तक पहुंचाने का कार्य भी करता हूं। मिथिला समाज के उत्थान के लिए भी कार्य करता हूं। जीवन में ऐसे बहुत से मौके आए जहां से मैं गलत तरीके से पैसे कमा सकता था, लेकिन ईमानदारी का पाठ शुरू से ही देखने और सुनने को मिला इसलिए कठिन परिस्थितियों में भी हमने पैसे से ज्यादा मेहनत और ईमानदारी को महत्व दिया। मुझे इस बात की खुशी है कि उस ईमानदारी का फल मुझे मिला और आज मेरे तीनों बच्चे सेट हैं। अपने काम के बाद मुझे जो भी समय मिलता है, उसे मैं समाज एवं देश सेवा में लगाता हूं।

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