आनंद श्रीवास्तव
सन् १९८० में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर स्थित कादीपुर से मुंबई आए राजपत वर्मा ने नौकरी के लिए कई जगह हाथ-पैर मारा लेकिन कामयाबी उनके हाथ नहीं लगी। इसके बाद सिंधी सोसाइटी में उन्होंने वड़ा-पाव बेचना शुरू किया। शुरुआत में उन्हें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कभी कोई उन्हें धंधा बंद करने के लिए धमकाता तो कभी कोई मुफ्त में खाकर चला जाता। इस तरह धीरे-धीरे समय बीतता चला गया और राजपत वर्मा की गाड़ी पटरी पर आने लगी। उनका यह धंधा स्थापित हो गया। लेकिन उनकी मेहनत बढ़ गई। सुबह ७ बजे धंधा शुरू करने के लिए सुबह ४ बजे से उठकर तैयारी में लग जाना पड़ता था। धीरे-धीरे वर्मा रिप्रâेशमेंट नाम से व्यवसाय उन्होंने शुरू किया। यहीं से उनके जीवन की असली शुरुआत हुई। वड़ा-पाव बेचते-बेचते उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। उस दौर में प्राइवेट स्कूल में एडमिशन लेना बहुत बड़ी बात थी। लेकिन राजपत वर्मा ने हिम्मत नहीं हारी और अपने बच्चों को यहीं एडमिशन दिलाया। आज उनके सभी बच्चे ग्रेजुएट हो गए हैं। कोई आईटी सेक्टर में काम कर रहा है तो कोई अंतर्राष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत है।
राजपत वर्मा अपने बच्चों की सफलता पर बहुत खुश हैं। वह कहते हैं, ‘मैं तो ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाया, लेकिन चाहता था कि मेरे बच्चे खूब पढ़ें। लोग कहते थे कि वड़ा-पाव वाले के बच्चे बड़े होकर वड़ा-पाव ही बेचेंगे, लेकिन मेरे बच्चों ने ग्रेजुएशन पूरा करके अच्छी नौकरी पर लगकर सभी का मुंह बंद कर दिया। मुझे २० घंटे काम करने का फल मिल गया और मैं सिर उठाकर शान से चल रहा हूं। यह सिर्फ और सिर्फ मेरे बच्चों की बदौलत!’
वड़ा-पाव से वर्मा रिफ्रेशमेंट तक के सफर को याद करते हुए राजपत वर्मा कहते हैं कि मेरे बच्चों ने इस धंधे को आगे बढ़ाने में मेरा बहुत साथ दिया है। जिस तरह मेरे भाई इस दुकान के लिए मेहनत करते हैं, उसी तरह मेरे बच्चों ने भी यहां अपना बहुत समय दिया है। आज वर्मा रिप्रâेशमेंट में चाय-नाश्ता भी मिलता है। यहां पर राजपत वर्मा के बेटे अक्सर पहुंचते हैं और ग्राहकों को चाय या वड़ा-पाव देते नजर आ जाते हैं। सभी बच्चे अच्छे जॉब पर होने के बावजूद समय मिलते ही आज भी वर्मा रिप्रâेशमेंट में पहुंच जाते हैं और अपने पिता की मदद में जुट जाते हैं। बच्चों का सपना है रिप्रâेशमेंट की इस दुकान को बड़े होटल में तब्दील करना, इसके बाद बच्चे अपने पिता को बाकी की जिंदगी आराम से गुजारते हुए देखना चाहते हैं।