मुख्यपृष्ठखबरेंमेहनतकश : लोगों की सेवा करना ही मेरा मुख्य उद्देश्य है

मेहनतकश : लोगों की सेवा करना ही मेरा मुख्य उद्देश्य है

आनंद श्रीवास्तव

२२ साल पहले उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला से मुंबई आकर बसे धीरज गौतम प्रभादेवी के दुर्गा गैस एजेंसी में कार्यरत हैं। पिछले बीस साल से वह लोगों के घर में गैस सिलेंडर पहुंचाने का काम करते हैं।
वर्ली जनता कॉलोनी की बिल्डिंग नंबर ४२ में रहने वाले धीरज गौतम को लोगों के घर में गैस सिलेंडर पहुंचाने के काम में बहुत सुकून मिलता है। वह कहते हैं कि यह एक सेवा है। लोगों की सेवा करना ही मेरा मुख्य उद्देश्य है। शायद इसीलिए धीरज पिछले कई सालों से एक ही गैस एजेंसी में काम कर रहे हैं। उनके चार बच्चे हैं। उनकी पत्नी बच्चों के साथ बस्ती जिला में रहती हैं। धीरज गौतम कहते हैं कि बच्चों को पढ़ाने-लिखाने और उनका जीवन संवारने के लिए वह मुंबई में रह कर दिन-रात मेहनत करते हैं। यहां से नियमित रूप से पैसे गांव भेजते रहते हैं, ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए। गौतम कहते हैं कि बहुत मेहनत है। लिफ्ट वाली बिल्डिंग में कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन जिस इमारत में लिफ्ट नहीं होती वहां कंधे पर गैस सिलेंडर रख कर तीन-चार मंजिल तक जाना पड़ता है। थक जाते हैं, बदन दर्द होता है। लेकिन परिवार के लिए यह दुख-दर्द सहना है।
जब `दोपहर का सामना’ से धीरज गौतम की मुलाकात हुई, तब भी वह वर्ली सासमिरा इंस्टीट्यूट के पास की कॉलोनी में घर-घर जाकर गैस सिलेंडर पहुंचाने में ही व्यस्त थे। यहीं पर हुई बातचीत में गौतम ने बताया कि पहले जैसी बात अब नहीं रही। आज कई इमारतों में पाइप द्वारा गैस पहुंचाया जाता है। इस वजह से हम जैसे कई डिलिवरी बॉयज का नुकसान हुआ है। पहले ज्यादा संख्या में गैस सिलेंडर पहुंचाते थे तो ज्यादा पैसे आते थे। अब गैस सिलेंडरों की संख्या सीमित हो गई है इसलिए मुनाफा भी कम हो गया है। लेकिन लोगों की सेवा करना अच्छा लगता है, इसलिए यह काम कर रहे हैं। आज उम्र ३८ पार हो गई है जब तक हाथ-पांव चलेंगे, तब तक अपनी सेवा प्रदान करते रहेंगे, इतना कहते हुए धीरज गौतम दूसरी जगह गैस सिलेंडर डिलीवरी के लिए निकल पड़े।

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