आनंद श्रीवास्तव / रवींद्र मिश्रा
कहते हैं कोई भी काम छोटा नहीं होता। परिस्थिति और जिम्मेदारियां व्यक्ति को बहुत जल्द बड़ा बना देती हैं। महाराष्ट्र के लातूर से मुंबई आए जितेंद्र गायकवाड की जिंदगी में भी ऐसे कई मोड़ आए, जहां जिम्मेदारियों ने उन्हें बेहद मजबूत बना दिया।
महाराष्ट्र के लातूर जिले से मुंबई के सुमन नगर में पहुंचे जितेंद्र को ग्रेजुएशन के बाद जब कोई नौकरी नहीं मिली तो वह ऑटोरिक्शा चलाने लगे। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, इसलिए जितेंद्र पढ़ाई के साथ-साथ छोटी-मोटी नौकरी करने लगे। बारहवीं के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और नौकरी करने लगे। उसी दौरान जितेंद्र को महसूस हुआ कि उन्हें आगे की पढ़ाई जारी रखनी चाहिए, तब उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। ग्रेजुएशन के बाद काफी मशक्कत करने के बाद भी जब उन्हें कोई नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने ऑटोरिक्शा चलाने का पैâसला किया। पहले कुछ साल किराए का ऑटोरिक्शा चलाया और अब उन्होंने अपना खुद का ऑटोरिक्शा खरीद लिया है। आज उनके परिवार में बेटे-बेटी, बहू और नाती इन सभी की जिम्मेदारी उनके ही कंधे पर है। अपनी सभी जिम्मेदारियों को वे बखूबी निभा रहे हैं और अपनी जिंदगी में बेहद खुश हैं।
हीरे तराशने वाले ने
चमकाई बेटे की किस्मत
जब वह हीरा तरासने के लिए हीरे की चाक पर बैठता तो उसके मन में हमेशा यह खयाल आता था कि जिस तरह से मैं हीरे को घिसकर उसे नायाब बनाता हूं, उसी तरह अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देकर उसे समाज में एक अच्छा इंसान बनाऊंगा। गुजरात, अमरेली जिले के करयाचड गांव में पैदा हुए अरविंद गोविंद भाई सोसलिया बताते हैं कि उनका गांव में चार भाइयों का परिवार है। वह सबसे छोटे हैं। दो भाई खेती करते हैं। कपास और मूंगफली की खेती होती है। वह भी बरसात के भरोसे रहती है। अच्छी बरसात हुई तो ठीक नहीं तो सालभर फांका मारना पड़ता है। बड़े भाई महाराष्ट्र के मालेगांव में प्लास्टिक कारखाने में काम करते हैं। शादी के बाद जिम्मेदारी बढ़ गई। मैंने तीन साल तक प्लास्टिक कारखाने में काम किया। बाद में मुंबई में रहनेवाले मेरे साले ने मुंबई बुला लिया और एक हीरा कारखाने में नौकरी लगवा दी। महज तीसरी क्लास की पढ़ाई करनेवाले अरविंद भाई का हमेशा से यह सपना था कि परिस्थितिवश भले ही वे ज्यादा न पढ़ पाएं हों, लेकिन अपने बच्चे को जरूर पढ़ाएंगे। आज उनका सपना पूरा हो गया है। आज उनका बेटा डॉक्टर बन गया है। आज जब कोई उनका परिचय कराते हुए कहता है कि इनका बेटा डॉक्टर है, तो उन्हें बहुत फख महसूस होता है।