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मेहनतकश : परिवार सहित समाज की कर रहे हैं नैया पार

अनिल मिश्र

किसी ने ठीक ही कहा है कि एक सफल व्यक्ति के पीछे किसी अपने का हाथ जरूर होता है। कुछ ऐसी ही कहानी है उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से मुंबई आनेवाले पंडित सवितेंद्रनाथ मिश्र की, जो ठाणे जिले में पंडित हरिओम के नाम से मशहूर हैं।
पंडित हरिओम मिश्र बताते हैं कि उन्होंने दसवीं की परीक्षा पास की ही थी कि उसके कुछ ही दिनों बाद उनके पिता का साथ हमेशा-हमेशा के लिए छूट गया। अचानक पिता के चले जाने से दो भाई और तीन बहनों समेत घर का सारा भार उनके बड़े भाई रवींद्र मिश्र और उनकी मां पर आ गया। खैर, बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद नौकरी की तलाश में देश की आर्थिक महानगरी मुंबई में छोटी बहन बालिका के सहारे पंडित हरिओम मुंबई चले आए। लेकिन मन मुताबिक नौकरी न मिलने के कारण पंडित हरिओम मन मसोसकर वापस अपने गृहनगर उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले स्थित आजोसी, मड़ियाहूं चले गए। घर की आर्थिक स्थिति बहुत बढ़िया न होने के कारण पंडित हरिओम ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया और ट्यूशन से मिलनेवाली धनराशि से उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी। स्नातक तक शास्त्री की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब एक बार फिर पंडित हरिओम मुंबई वापस आ गए। अब उन्होंने बिना किसी मार्गदर्शक के मुंबई में अपनी संस्कृत की पढ़ाई का सदुपयोग करते हुए अपनी पैठ बढ़ाई। अब वे पूजा-पाठ के साथ ही अन्य धार्मिक कर्मकांडों में लग गए। सन् २००८ में पंडित हरिओम गोवंडी से अंबरनाथ स्थाई रूप से आ गए। अंबरनाथ पहुंचने के बाद अब उन्होंने अपने परिवार को गांव से मुंबई बुला लिया। अब पंडित हरिओम पूजा-पाठ के साथ ही शास्त्र का भी गहन पठन-पाठन करने लगे। पंडित हरिओम मिश्र आज भागवत कथा के साथ ही श्रीराम कथा वाचक भी बन गए हैं। पूजा-पाठ के साथ ही कथा वाचक के क्षेत्र में परिवार, गांव, पासपड़ोस, रिश्तेदारों को ही नहीं, बल्कि दर्जनों लोगों का उन्होंने मार्गदर्शन किया। आज उनके सभी चेले खुशहाल जीवन व्यतीत करते हुए अपने-अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। पंडित हरिओम मिश्र के दो बेटों में से एक चंदन सिविल इंजीनियर और दूसरा बेटा अभिषेक साफ्टवेयर इंजीनियर है। उनकी बड़ी बेटी प्रभा बी.काम हैं तो सबसे छोटी बेटी आभा अधिवक्ता है। तीन बच्चों का विवाह हो चुका है। बस छोटी बेटी का विवाह करना बाकी है। पंडित हरिओम भविष्य में बेटी को बतौर जज देखना चाहते हैं। पंडित हरिओम अब सामाजिक कार्यों में रुचि ले रहे हैं। बच्चों और बच्चियों के विवाह करवाने को समाज में पुण्य का कार्य माना जाता है। इस पुण्य कार्य को आगे बढ़ाते हुए पंडित हरिओम अब तक सैकड़ों लोगों का विवाह करा चुके हैं। कर्मभूमि और जन्मभूमि दोनों ही जगहों पर आज उन्हें आदर और सम्मान मिल रहा है। परिवार के साथ देश के ज्यादातर तीर्थों का दर्शन कर चुके पंडित हरिओम अपने परिवार के साथ ही अपने गांव और समाज के विकास के लिए भी प्रयासरत हैं।

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