मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : गली-गली बेचते थे पॉपकॉर्न, आज है करोड़ों का कारोबार

मेहनतकश : गली-गली बेचते थे पॉपकॉर्न, आज है करोड़ों का कारोबार

अमर झा

लगन और मेहनत से जब कोई इंसान काम करता है तो भाग्य भी उसका साथ देता है। ऐसे ही नेकदिल व अथक मेहनती कर्मवीर हैं महेंद्र नरोत्तमदास कोटेचा, जो अपनी मेहनत के बल पर आज करोड़ों का व्यपार खड़ा करके विदेशों में अपने बच्चों को पढ़ाने का अपना सपना पूरा कर रहे हैं।
गुजरात के पोरबंदर से रोजी-रोटी की तलाश में १९८३ में मुंबई आए महेंद्र कोटेचा ने कभी सपने में भी नही सोचा था कि एक दिन वो एक बड़े व्यापारी बन जाएंगे। महेंद्र कोटेचा ने बताया कि कंपनी का मालिक बनने के सफर की शुरुआत मुंबई की गलियों में पॉपकॉर्न बेचने से हुई थी। मुंबई पहुंचने के बाद कांदिवली के एक स्लम में छोटी-सी जगह पर रहते हुए उन्होंने रोजगार के तौर पर पॉपकॉर्न बेचना शुरू किया। गली-गली पॉपकॉर्न बेचने वाले महेंद्र ने आगे चलकर अपने कार्य को आगे बढ़ाते हुए साइकिल से मालवणी, दहिसर और अंधेरी तक दुकानों में पॉपकॉर्न की सप्लाई करने लगे। इसी बीच एक जगह पर वे फरसाण का स्टॉल भी लगाने लगे, लेकिन कुछ बर्षों के बाद एक समय ऐसा भी आया जब महेंद्र को अपना व्यापार छोड़कर एक फरसाण कंपनी में नौकरी करनी पड़ी। नौकरी करने के बावजूद महेंद्र ने सपना देखना बंद नहीं किया। इस बीच फरसाण बनाने की कंपनी में काम करते-करते महेंद्र ने फरसाण बनाने की सारी जानकारी ले ली। इसके बाद उन्होंने १९९५ में दोबारा अपने व्यवसाय की शुरुआत फिर से की। अपनी खुद की फरसाण की कंपनी खोलकर एक बार फिर से फरसाण बनाकर वे उसे बाजार में सप्लाई करने लगे। हंसमुख व सरल स्वभाव के कारण महेंद्र का जादू इस बार चल गया और बाजार में इनके बनाए फरसाण की मांग लगातार बढ़ती ही चली गई। आज कोटेचा परिवार का फरसाण बनाने की बड़ी फैक्टरी मीरा रोड स्थित काशीमीरा में है, जो AMRUD SNACK Ltd. के नाम से प्रसिद्ध है, उच्च क्वालिटी के मिलेट्स से बनाए गए इनके स्नेक्स आज भारत के साथ-साथ विदेशों में भी सप्लाई हो रहे हैं। दो भाइयों के भरे-पूरे परिवार में महेंद्र कोटेचा ने बच्चों को भी शिक्षित किया। पढ़ाई में बेटी के लगन को देखते हुए उसे पढ़ाई के लिए यूके (विदेश) भेज दिया, जिसका सपना कोटेचा ने शुरुआती दिनों में देखा था, जबकि बेटा फिल्मों में डायरेक्टर व स्क्रिप्ट राइटर का काम कर रहा है। महेंद्र कोटेचा का भतीजा और बहू दोनों फैक्टरी संभाल रहे हैं। महेंद्र कोटेचा कहते हैं कि बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने के साथ ही गांव में कुलदेवी चारण मां का मंदिर बनवाने और लोगों को रोजगार देने का मेरा तीनों ही सपना पूरा हो गया। आज कोटेचा की पैâक्टरी में लगभग १०० कर्मचारी काम करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं।

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