आनंद श्रीवास्तव
जगह-जगह बना कबूतर खाना मुंबई की एक खास पहचान है। इन्हीं में से एक दादर कबूतर खाना पर रोजाना हजारों लोग कबूतर को दाना खिलाने पहुंचते हैं और दाना खिलाकर पुण्य पाना चाहते हैं। सैकड़ों की संख्या में यहां मौजूद कबूतरों को देख बच्चे-बड़े सभी खुश होते हैं, सेल्फी लेते हैं। लेकिन इन कबूतरों की देखभाल करनेवाले को कोई नहीं जानता। इस कबूतर खाना की साफ-सफाई, कबूतरों को दाना-पानी देने से लेकर बीमार कबूतरों का इलाज कराने तक का काम करनेवाले शख्स का नाम है राम अवतार मंडल।
बिहार के बेनीपट्टी से मुंबई आकर राम अवतार दादर (प.) में किराये का मकान लेकर रहने लगे। यहीं रहते-रहते उन्हें दादर कबूतर खाना ट्रस्ट में कबूतरों की सेवा करने की नौकरी मिल गई। इस बात को लगभग ३१ साल बीत गए। राम अवतार की यह सेवा आज भी जारी है। वे कहते हैं कि उन्हें कबूतरों की इस सेवा में मजा आता है। सुबह उनकी दिनचर्या कबूतर खाना की साफ-सफाई से शुरू होती है। उसके बाद कबूतरों को दाना-पानी देना उनका रोज का कार्य हो गया है। पहले कबूतरों की संख्या कम थी। आज यह संख्या तिगुनी हो गई है, इसलिए उनका काम भी बढ़ गया है। राम अवतार प्रत्येक सुबह और शाम सभी कबूतरों की हलचल को बड़े ध्यान से देखते हैं। इनमें से यदि कोई कबूतर उन्हें बीमार दिखाई देता है या फिर घायल अवस्था में नजर आता है, तब राम अवतार तुरंत उसे मर्ज के हिसाब से दवा देते हैं अथवा मरहम लगाते हैं और यदि मामला गंभीर हो तो पशु-पक्षियों के डॉक्टर से संपर्क कर उनका इलाज करवाते हैं।
क्या ये कबूतर आपको पहचानते हैं? आप उन्हें वैâसे पुकारते हैं? इन सवालों के जवाब में राम अवतार कहते हैं कि ये सभी पालतू कबूतर नहीं हैं। यहां आते हैं, दाना-पानी लेते हैं और उड़ जाते हैं। इसलिए ये मुझे पहचानते हैं या नहीं यह मैं नहीं जानता, लेकिन बीमार होने पर कबूतर मेरी ओर मदद पाने की उम्मीद से जरूर देखता है। उसी वक्त मैं समझ जाता हूं कि उसे मेरी जरूरत है। मैं सब काम छोड़कर तुरंत उसकी मदद में जुट जाता हूं।
राम अवतार का कहना है कि अब तो मैं भी इन कबूतरों का आदी हो गया हूं। कभी मुंबई से बाहर गया तो वहां मुझे इनकी बहुत याद आती है और मैं जानता हूं कि ये कबूतर भी मुझे जरूर याद करते होंगे!