मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनामेहनतकश : बेटा खोया, पर हिम्मत नहीं हारी, पोते को सीए बनाने...

मेहनतकश : बेटा खोया, पर हिम्मत नहीं हारी, पोते को सीए बनाने का सपना करेंगे साकार

आनंद श्रीवास्तव

इस दुनिया में किसी भी पिता के लिए अपने बेटे को खोने का गम सबसे बड़ा होता है। ऐसी स्थिति में एक पिता को मजबूत रहकर खुद को और परिवार को संभालना बेहद कठिन हो जाता है। चुनाभट्टी में रहनेवाले दिलीप निकम बेटे को खोने का दर्द झेल चुके हैं। कुछ साल पहले ही उन्होंने अपना बेटा खोया था। इस दर्द से वे अभी तक नहीं उबर पाए हैं और अब उनके जीवन का लक्ष्य अपने बेटे के बेटे अक्षय को सीए बनाने का है। हालांकि, उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए लेकिन दिलीप ने कभी हार नहीं मानी और जीवन में अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए आगे बढ़ते चले गए।
चुनाभट्टी में रहनेवाले दिलीप निकम ३५ साल से ऑटोरिक्शा चला रहे हैं। ऑटोरिक्शा वालों की परेशानियां वे बखूबी समझते हैं। इसलिए अब वे ज्यादा समय इन ऑटोरिक्शा वालों की समस्या सुलझाने में लगे रहते हैं। कुर्ला स्टेशन के बाहर माऊली रिक्शा स्टैंड के सेक्रेटरी के तौर पर वे अपना ज्यादा समय यहां बिताते हैं। लेकिन कुछ साल पहले दिलीप निकम के पास समय नहीं रहता था। वे भी आम लोगों की जिंदगी जीते थे। उनका अपना परिवार था, लेकिन कुछ वर्ष पहले एक्सीडेंट में उन्होंने अपना इकलौता बेटा खो दिया। इस गम को वे आज तक नहीं भुला पाए हैं। लेकिन आज दिलीप निकम का सहारा उनका पोता अक्षय बना है। आज यही उनके लिए सब कुछ है। अक्षय की पढ़ाई का सारा खर्च दिलीप निकम ही करते हैं। हालांकि, अब उनका बेटा नहीं रहा लेकिन अब वे अपने पोते को पढ़ा-लिखाकर, सीए बनाने के सपने को साकार करेंगे। इसीमें वे जुट गए हैं। दिन भर ऑटोरिक्शा चलाकर उससे होनेवाली कमाई को वे अक्षय की पढ़ाई में लगाते हैं, ताकि अक्षय का भविष्य उज्ज्वल हो जाए।

अन्य समाचार