मुख्यपृष्ठनए समाचारमेहनतकश : संघर्ष के दम पर पाई सफलता

मेहनतकश : संघर्ष के दम पर पाई सफलता

राम दिनेश यादव

यूपी के जौनपुर जनपद के केराकत तहसील के शहाबुद्दीनपुर गांव के निवासी पचास वर्षीय सुभाष यादव ने मुंबई में रहते हुए अपनी मेहनत के दम पर अपने बच्चों को एक मुकाम पर पहुंचा दिया है। सुभाष यादव बताते हैं कि `बेहद मुफलिसी के दौर में मैंने अपने पिता राजाराम यादव के साथ सांताक्रुज वाकोला में अपना जीवन व्यतीत किया। मेरे पिताजी और मैंने अपने जीवन में हर प्रकार का संघर्ष किया।’ सुभाष बताते हैं, `मेरे पिताजी ने तबेले से दूध खरीदकर लोगों को बेचना शुरू किया। मैंने भी उनके साथ उनका हाथ बंटाना शुरू कर दिया। फिर कुछ पैसा इकट्ठा होने के बाद पढ़ाई करने लगा। पढ़ाई के साथ-साथ पैसे कमाने के लिए तबेले के कई तरह के काम करता रहा, जिनमें भैंस को नहलाना, उन्हें चारा खिलाना, घास काट कर लाना, घर-घर जाकर दूध बेचना आदि शामिल है।’ इसी तरह के काम करते हुए सुभाष यादव बड़े हो गए और उनकी शादी हो गई।
शादी के बाद सुभाष यादव के सिर पर और भी जिम्मेदारियां बढ़ गर्इं। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए उन्होंने वह सभी कार्य किए, जो एक जिम्मेदार पिता को करने चाहिए। आज उनके दो पुत्र और पुत्रियां उच्च शिक्षित हैं। इनके दो बच्चे डेरी का कार्य संभालते हैं और होटलों में ऑर्डर पर माल भी पहुंचा देते हैं। सुभाष यादव की गांव में बड़े पैमाने पर खेती-बाड़ी भी है, जिस पर वे बराबर ध्यान देते हैं। उनकी एक बेटी और एक बेटा चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। बेटा किसी सीए के अंडर में जॉब कर रहा है तो वहीं उनकी बेटी बैंक में जॉब करती है। सुभाष यादव की तीसरी बेटी फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाने में लगी हुई है और वह भी अंडर ट्रेनिंग जॉब कर रही है। उनका सबसे छोटा बेटा एलटी का कोर्स कर रहा है। ऐसा नहीं है कि उनकी जिंदगी में कभी कोई मुश्किल हालात नहीं आए हैं। सुभाष ने बताया कि उन्हें बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। सुभाष के बारे में यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना करते हुए अपने परिवार की जिम्मदारियों को उचित ढंग से निभाया और अपने बच्चों को इस लायक बनाया कि आज वे सभी अपने पैरों पर खड़े होकर अपने पिता का नाम रोशन कर रहे हैं।

अन्य समाचार

पहला कदम