मुख्यपृष्ठस्तंभमेहनतकश : बनाना चाहते हैं बच्चों को वकील और इंजीनियर

मेहनतकश : बनाना चाहते हैं बच्चों को वकील और इंजीनियर

अनिल मिश्रा

आज हर व्यक्ति अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाकर उन्हें अच्छे मुकाम पर पहुंचाना चाहता है। बच्चों को अच्छे संस्कार और उच्च शिक्षा दिलवाने के लिए व्यक्ति दिन-रात मशीन की तरह काम करते हुए इधर से उधर दौड़ते हुए अपनी सेहत तक का खयाल नहीं रख पा रहा है। कुछ ऐसा ही हाल है संदीप सिंह का जो अपनी कड़ी मेहनत से अपने दोनों बच्चों को वकील और इंजीनियर बनाना चाहते हैं। संदीप सिंह कहते हैं कि वे उत्तर प्रदेश जैसे मेहनतकश प्रदेश के रहनेवाले हैं। उत्तर प्रदेश के लोग जहां भी जाते हैं अपनी मेहनत और लगन के बलबूते अपने लिए सम्मानित जगह जरूर बना लेते हैं। संदीप सिंह का कहना है कि जब उनके पिता को हृदयाघात का झटका लगा तब वे बीएससी की पढ़ाई बीच में अधूरी ही छोड़कर मुंबई चले आए। संदीप के पिता सेंच्युरी रेयान कंपनी के सीएसटू प्लांट में काम करते थे। मुंबई आने के बाद संदीप सिंह ने पिता की तीमारदारी की और इसके बाद वो मुंबई के ही होकर रह गए।
संदीप सिंह ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है और वे उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के किलई गांव के निवासी हैं। उनके पास खेती-बाड़ी पर्याप्त है। इसके बावजूद वे स्थिति को यथावत रखने के लिए १९९९ में पिता की तबीयत खराब होने के बाद मुंबई आ गए। उनकी सेवा के बाद पिता स्वस्थ हो गए। पिता के स्वस्थ होने के बाद उन्होंने १९९९ से लेकर २००२ तक बीपीसीएल कंपनी में काम किया। कंपनी के प्रबंधकों से मतभेद होने के कारण उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। अब संदीप सिंह ने सात माह तक ऑरेंज सिम कार्ड कंपनी में काम किया। काफी समय तक सेंच्युरी रेयान के दबंग कामगार लीडर के साथ कई कंपनी में यूनियन का कामकाज भी उन्होंने देखा। उसके बाद सेंच्युरी रेयान में ऑपरेटर पद पर काम करने लगे। कुछ वर्ष के बाद संदीप सिंह के पिता सेवानिवृत्त हो गए और आज वे गांव में खेती-बाड़ी की देखरेख कर रहे हैं। संदीप का छोटा भाई गांव में पिता के साथ रहते हुए खेती के साथ ही गांव-समाज देख रहा है। इसके साथ ही चाचा पेट्रोल पंप की देखरेख कर अपनी आजीविका मस्त चला रहे हैं। छोटे भाई के लड़के यानी अपने भतीजे को भी संदीप ने सेंच्युरी में काम पर लगाया। संदीप को एक बेटा और एक बेटी है। बेटा बिरला कॉलेज से बी. काम के साथ ही कंप्यूटर साइंस टेक्निकल विषय लेकर प्रथम वर्ष में है, जबकि बेटी बी. काम उल्हासनगर के आर.के.टी. से पढ़ रही है। लड़की की वकील बनकर भविष्य में जज बनने की इच्छा है। संदीप की पत्नी जो गृहिणी हैं वे बच्चों की इच्छा का पूरा खयाल रखती हैं। संदीप सिंह आगे बताते हैं कि बड़े भाई कस्टम में हैं। पिता भी स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक हैं। साल में तीन से चार बार पिता से मिलने गांव जाते हैं। जरूरत पड़ने पर पिता हम भाइयों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ऐसे पिता पर हम गर्व करते हैं जो जीवनभर परिवार की मदद के लिए हमेशा खड़े रहे। कामगारों के हितैषी संदीप सिंह हमेशा कामगारों की मदद के लिए अग्रसर रहते हैं।

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