सूरत में जन्मे प्रतीक गांधी ने ३९ वर्ष की उम्र में थिएटर में काम करना शुरू किया। थिएटर करते समय लोग उनके सहज अभिनय की खूब तारीफ करते। ‘बिग बुल’ हर्षद मेहता की जीवनी पर बने वेब शो ‘स्वैâम १९९२’ में उन्होंने हर्षद मेहता के किरदार को हू-बहू निभाया। चंद गुजराती और हिंदी फिल्में कर चुके प्रतीक और विद्या बालन की फिल्म ‘दो और दो प्यार’ रिलीज हो चुकी है। पेश है, प्रतीक गांधी से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
विद्या बालन के साथ फिल्म ‘दो और दो प्यार’ का ऑफर मिलने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया रही?
विद्या के साथ फिल्म? सच कहूं तो मैं डर ही गया था। विद्या का स्वभाव अच्छा है, यह मैंने सुन रखा था, लेकिन विद्या जैसी हर माध्यम पर काम कर चुकी और बहुत ही सुलझी हुई सीनियर अभिनेत्री के साथ फिल्म में उनके पति बनने का किरदार ऑफर होने पर घबराहट तो होगी न?
आखिर, विद्या बालन के साथ फिल्म करने का खौफ कैसे दूर हुआ?
फिल्म पर चर्चा करने के लिए फिल्म से जुड़े सभी सदस्य विद्या के घर मिले। सच कहूं तो उनकी स्माइल बड़ी मीठी है। कई बार फॉर्मेलिटी के लिए लोग मुस्कुरा तो देते हैं, लेकिन उसमें अपनापन नहीं होता, परंतु विद्या जितनी उम्दा अभिनेत्री हैं उतनी ही अच्छी इंसान भी हैं। विद्या ने मुझे खुद कहा, ‘प्रतीक, आप वैâसे सहज एक्टिंग कर लेते हो?’ इतनी बड़ी अदाकारा ने मुझे सम्मान देने के साथ ही यह सवाल किया।
फिर विद्या को आपने क्या जवाब दिया?
मैंने उनसे कहा, ‘अपने अभिनय को मैं किसी भी स्टाइल से दूर रखता हूं। अभिनय में जितनी सादगी रखोगे अभिनय उतना नैचुरल लगेगा। घर में हम सभी सुबह उठने के साथ सोने तक क्या एक्टिंग नहीं करते हैं? बहुत ही साधारण तरीके से दिन का कामकाज चलता है न? एक्टिंग को भी ऐसे ही समझना चाहिए। हां, स्टेज पर एक्टिंग थोड़ी लाउड होती है, थोड़ा जोर से बोलना पड़ता है और स्टेज पर रीटेक नहीं होता। सामने बैठे दर्शकों की आखिरी पंक्ति तक आपके संवाद और एक्सप्रेशंस पहुंचने चाहिए।
आपके पसंदीदा एक्टर्स कौन हैं, जिनकी एक्टिंग आपको नेचुरल लगी?
विद्या तो हैं ही, मेरी फेवरेट भी हैं। करीना कपूर हैं, कभी श्रीदेवी थीं। श्रीदेवी की फिल्म ‘सदमा’ मुझे बेहद पसंद आई थी। यह फिल्म मुझे आज भी रुला देती है। अभिनेताओं में महानायक अमिताभ बच्चन हैं, कमल हासन हैं, राजकुमार राव हैं।
आपकी फिल्म ‘दो और दो प्यार’ वैवाहिक जीवन के आपसी संबंधों को दर्शाती है, क्या पति-पत्नी में आदर्श रिश्ता मौजूद होता है?
यह कहना बड़ा मुश्किल है। हर पति-पत्नी में आपसी मनमुटाव होता है। मतभेद के साथ ही बहसबाजी होती है। यह मान्यता है कि लड़ाई-झगड़ों से ही प्यार बढ़ता है। इसमें कितनी सच्चाई है यह मैं नहीं जानता, लेकिन हर घर में पति-पत्नी लड़ते हैं, कहीं उन्नीस तो कहीं बीस।
आज ओपन रिलेशनशिप के विकल्प को लोग चुन रहे हैं। आपका क्या कहना है?
व्यक्तिगत स्तर पर बात करूं तो मैं इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर सकता। विवाह तो विश्वभर में होते हैं, लेकिन उनका सफल होना किस्मत, स्वभाव और परिस्थितियों पर निर्भर होता है। वजहें अनगिनत होती हैं और हो सकती हैं, लेकिन मैं इसे नहीं स्वीकार कर सकता।
विद्या बालन से आपने क्या सीखा?
मैं तो पहले ही कह चुका हूं कि उनकी स्माइल आकर्षित करती है। उनकी निर्मल हंसी उनके भीतर के अच्छे इंसान को दर्शाती है। विद्या में अच्छे संस्कार हैं और उनकी परवरिश बहुत ही अच्छी हुई है। जिंदगी को भरपूर जीनेवालों में से एक हैं विद्या। एक सिंपल और प्यारी सी अभिनेत्री। उनमें कोई ईगो नहीं है।
विद्या की कौन-सी फिल्में आपको पसंद आईं?
अभिनय के क्षेत्र में विद्या रंग बदलनेवाली गिरगिट हैं। उनकी हर फिल्म भिन्न और लाजवाब है। मुझे उनकी फिल्म ‘एक कहानी’ बहुत ज्यादा पसंद आई और इसके बाद फिल्म ‘शेरनी’ भी जबरदस्त लगी।
सुना है, आप उनके लिए खांडवी ले जाया करते थे?
अरे, आपसे यह किसने कहा? विद्या ने सेट पर फ्री टाइम में यूं ही कहा था कि उन्हें गुजराती फूड पसंद है। मैंने उनसे पूछा, क्या है उनकी विशेष पसंद? विद्या ने कहा, उन्हें खांडवी बहुत अच्छी लगती है। मेरी पत्नी द्वारा घर पर बनाई खांडवी मैं सेट पर ले गया और सभी ने खांडवी को बहुत एन्जॉय किया।