२०१७ में रिलीज हुई फिल्म `पोस्टर बॉयज’ से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली तृप्ति डिमरी मूलत: उत्तराखंड के गढ़वाल से हैं। २०२० में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई `बुलबुल’ और २०२२ में रिलीज हुई `कला’ से तृप्ति की पहचान बनी। लेकिन फिल्म `एनिमल’ की अपार सफलता से तृप्ति डिमरी `नेशनल क्रश’ कहलाने लगी। इस वक्त डिमरी फिल्म `बैड न्यूज’ की वजह से सुर्खियों में हैं। १९ जुलाई को यह फिल्म रिलीज होगी, जिसे आनंद तिवारी ने निर्देशित किया है। विकी कौशल और एमी विर्क तृप्ति के को-स्टार हैं। पेश हैं पूजा सामंत की डिमरी के साथ बातचीत के प्रमुख अंश…
दर्शकों को हंसाना मुश्किल है, क्या आप इससे सहमत हैं?
यह वाकई सच बात है। मेरी फिल्म `बैड न्यूज’ की हर सिचुएशन आपको हंसाएगीr। गंभीर मसलों में भी हंसी के ठहाके निकलेंगे। कॉमेडी करने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। अपने देश में खासकर बॉलीवुड में एक से एक कॉमेडियन हो चुके है, जिन्होंने हमें बेहद हंसाया है। मैंने फिल्म `बैड न्यूज’ से पहले कभी भी कॉमेडी जॉनर की कोशिश ही नहीं की थी, पहली बार मैंने यह प्रयास किया है। पहले मुझे बहुत डर लग रहा था, लेकिन धीरे-धीरे सहज हो गई।
फिल्म में गर्भवती मां के किरदार को करके कैसा महसूस किया?
अगर आप अपनी रियल जिंदगी में मां हैं और पर्दे पर मां बनना है तो आसान होता है। मैं कुंवारी हूं। ऑनस्क्रीन मां बनने के लिए मैंने अपनी बहन और कुछ सहेलियों से राय ली। गर्भावस्था के अनुभव सिर्फ गर्भवती ही समझ सकती है। यह ड्रेनिंग अनुभव ही होता है। स्त्री को कभी उत्साह, कभी थकान, कभी उल्टी महसूस होना, कभी जी मचलना, नींद न लगना जैसे कई अनुभवों से गुजरना पड़ता है। इन अनुभवों के अलावा सेट पर दो बच्चे भी थे जिनकी देखभाल मैं खुद करती थी। ऐसे किरदारों को निभाते समय इमोशंस की जरूरत पड़ती है।
आपके दिमाग में पहला विचार क्या था?
मैं मुंबई आई, मुझे संतूर साबुन के विज्ञापन फिल्म में काम करना था। मैंने उसी वक्त इस फिल्म के लिए ऑडिशन दी थी। ऑडिशन के लिए जब सीन करने पड़े तो एहसास हुआ कि इसे ठीक से नहीं कर पा रही हूं। मैंने उसी दौरान फिल्म `लैला मजनू’ के लिए भी ऑडिशन दी। मैं एक्टिंग करना नहीं जानती थी। बाद में मैंने एक्टिंग वर्कशॉप शुरू की। इस वर्कशॉप का मुझे फायदा हुआ। फिर धीरे-धीरे समझ आने लगा कि मुझे ऐसे ही किरदार स्वीकारने होंगे, जो अलग और चुनौतीपूर्ण हों।
कब एहसास हुआ कि आप एक्टिंग कर सकती है?
एक्टिंग आती है या नहीं यह तो पता नहीं, कोशिश करती हूं। दरअसल, मैं जब सिलेक्ट हो जाती हूं तो शूटिंग से पहले निर्देशक के साथ बैठती हूं। मुझे हमेशा से निर्देशकों से मेरा काम, किरदार समझने में बड़ी मदद मिली है। अगर मैं खुद किरदार को गहराई से समझूंगी तभी तो दर्शक मेरे किरदार से रिलेट होंगे।
फिल्म `एनिमल’ की इस कदर की लोकप्रियता का पहले अंदाजा था?
मैं फिल्म `एनिमल’ करने के बारे में थोड़ी सशंकित थी। मेरे किरदार (जोया रियाज) की लंबाई कम थी। मुझे लगा कि जब फिल्म में अनिल कपूर, रणबीर कपूर, रश्मिका मंदाना जैसे बेहतरीन और नामी एक्टर्स हैं तो मेरी दाल क्या गलेगी? निर्देशक संदीप रेड्डी वांगा ने मुझे एनिमल के मेरे किरदार के बारे में समझाया और आश्वस्त किया कि जोया का किरदार लेंथ में बड़ा नहीं, लेकिन किरदार का इंपैक्ट तगड़ा रहेगा और ऐसा ही हुआ। लोगों ने जोया के किरदार को काफी पसंद किया।
नेशनल क्रश का खिताब आपको कितना पसंद आता है?
मुझे जब लोग मेरे किरदार से प्यार करते हैं तो अच्छा लगता है। मैं जब कुछ दिन पहले कश्मीर गई थी, वहां लोगों ने मुझे `लैला’ के नाम से पुकारा तो बहुत अच्छा लगा। इसका मतलब तो यही हुआ न कि मैंने अपने किरदार लैला की छाप छोड़ी है। ऐसा तो उस वक्त होता है, जब आप अपने किरदार को न्याय देते हैं। मुझे नेशनल क्रश कहा जाने लगा तो अच्छा ही लगता है मुझे। किसे अच्छा नहीं लगेगा?
आपके जीवन में एनिमल की सफलता के बाद क्या बदला?
बहुत कुछ बदला है। मुझे एनिमल फिल्म मिली `बूलबुल’ की सफलता के कारण। मुझे बैड न्यूज फिल्म मिलने की वजह भी `बुलबुल’ ही है। मैं मानती हूं कि मेरे करियर में `बुलबुल’ ही मेरे लिए स्टेपिंग स्टोन है। यह टर्निंग पॉइंट है। मुझे कई लोगों ने सलाह दी कि अभी तुम्हारा करियर फिल्मों में बना नहीं और ओटीटी के लिए तुमने वैâसे फिल्म करनी शुरू कर दी? लेकिन मैंने बुलबुल की, जिसका फायदा मुझे हुआ। मैं अब वो रोल करने में उत्सुक नहीं हूं, जहां मुझे सिर्फ सुंदर ही दिखना है। एक एक्टर की हैसियत से मेरी ग्रोथ हो, मुझे ऐसे किरदारों की तलाश है। सफलता से ही मेरी पहचान का दायरा बढ़ता चला गया। काम मिलता गया।
आपका पारिश्रमिक भी बढ़ा होगा!
ऑफ कोर्स बढ़ा। लेकिन यह न पूछिए कि कितना बढ़ा है।
आप नॉन फिल्मी परिवार से हैं, सीनियर एक्टर्स के साथ काम करने में कई समस्या आई होंगी?
हां, प्रेशर तो था मुझ पर। मैं जब तक इन सभी एक्टरों से रू-बरू नहीं हुई, मुझे एक डर लग रहा था, क्योंकि मैं न्यूकमर जो हूं। लेकिन सेट पर ही इन सभी से भेंट हुई तो बहुत अच्छा लगा। सभी में आत्मीयता भरी है। जैसे-जैसे शूटिंग होती गई एक कम्फर्ट लेवल में आ गई। विकी कौशल बहुत ही सुलझे हुए एक्टर और निहायत अच्छे इंसान हैं। जब दो एक्टरों में स्नेह का रिश्ता बनता है तो सीन में भी वो अपनापन नजर आता है।