देश के जाने-माने रामानंद संतों में शुमार हैं महामंडलेश्वर स्वामी श्री अभिरामदासजी महाराज
दीपक तिवारी
विदिशा। देश के जाने-माने हिमालयवासी रामानंदी संत महामंडलेश्वर स्वामी श्री अभिरामदासजी त्यागी का परिचय देना सूर्य के सामने दीया जलाने के समान है। १३-१४वीं शताब्दी में भारत की जनता बहुत असंतुष्ट थी और आध्यात्मिक ज्ञान का अभाव था। इसी दौरान जगद्गुरु श्री स्वामी रामानंदाचार्य जी ने भारत की जनता को आध्यात्मिक रूप से संतुष्ट किया। रामानंदी समाज में बहुत सारे संत हुए हैं, स्वामी श्री अभिरामदास जी उनमें से एक प्रसिद्ध और जाने-माने संत हैं।
श्री स्वामी अभिरामदास जी त्यागी का जन्म एक खुशहाल परिवार में हुआ। बचपन से ही उनके अंदर जीवन का सही अर्थ समझने की तीव्र इच्छा थी और इसी कारण उन्होंने बहुत कम उम्र में घर छोड़ दिया। परमात्मा के निर्देश से स्वामी अभिरामदास जी त्यागी ने विदिशा मध्य प्रदेश में बैतृवती गंगा नदी के किनारे सद्गुरु भगवान श्री स्वामी परमेश्वर दास जी के चरण कमलों में शरण ली और गुरु तथा संत सेवा में तत्परता से लीन हो गए। तत्पश्चात श्री स्वामी अभिरामदास जी त्यागी ने अयोध्या की तरफ प्रस्थान किया और चित्रकूट में निरंतर अनुशासन और आध्यात्मिक तपस्या से आत्मसाक्षात्कार को प्राप्त किया।
श्री स्वामी अभिरामदास जी का मुख्य ध्येय विश्व की जनता को जीवन का सही अर्थ समझाना व आध्यात्मिक ज्ञान को बांटना है। इसके लिए वे पूरे विश्व में भ्रमण करते हैं। गुरुदेव का दिव्य व्यक्तित्व सभी अनुयायियों को उनकी तरफ आकर्षित करता है। उनकी उपस्थिति और उनका आभामंडल सभी भक्तों को शांति, प्रेम और अपार ख़ुशी प्रदान करता है। शिष्यों के अनुसार, भगवान राम ने इस विश्व को तोहफे के रूप में एक दिव्य व्यक्तित्व के स्वामी जी त्यागी दिए हैं। स्वामी जी एक चुम्बकीय और आध्यात्मिक व्यक्तित्व के स्वामी हैं। उनके अनुयायी उन्हें श्री राम के नाम से जानते हैं और उनकी श्री राम भगवान की तरह पूजा भी करते हैं। महाराज श्री के द्वारा केदारनाथ में तपोस्थली तपस्या करने के पश्चात देश-विदेश में कई आश्रम सेवा प्रकल्प संचालित हैं। वर्तमान में देश में १६ से अधिक आश्रम हैं, जिसमें केदारनाथ प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है, जहां हनुमान गुफा केदारनाथ में श्री स्वामी रामानंद संत आश्रम है। जिसका संचालन महंत पुजारी श्री छबिरामदास जी महाराज के द्वारा होता है। गंगा नदी हिमालय से यहां आती है। इसे हिमालय का प्रवेश द्वार कहा जाता है। यहीं से चार धाम तीर्थयात्रियों की यात्रा शुरू होती है। ऋषिकेश में श्री महंत पुजारी श्री वृंदावन दास जी महाराज हैं।
यहां श्री स्वामी रामानंद संत आश्रम मायाकुंड में स्थित है। रामटेकरी तपोवन (म.प्र.) में महंत पुजारी श्री रामसुंदर दास जी महाराज के द्वारा रामटेकरी जिला गुना, मध्य प्रदेश में जानकी मंदिर की पूजा-पाठ की जा रही है। वहीं गुवार (नर्मदा जिला) राजपिपला के पास गुजरात में आश्रम संचालित है, जिसके पुजारी श्री ईश्वरदास जी महाराज व श्री हरियानंद जी हैं। इसके अलावा श्री स्वामी रामानंद संत आश्रम जॉर्जिया अटलांटा अमेरिका में स्थित है, श्री स्वामी रामानंद संत आश्रम लंदन, यू.के. में स्थित है। वहीं सनातन चैतन्य ब्रह्मचारी के द्वारा श्री स्वामी रामानंद संत आश्रम साउथ कुंडल, विवेकानंद रोड, कन्याकुमारी तमिलनाडु में संचालित है। श्री स्वामी रामानंद संत आश्रम बीनागंज, जिला गुना, मध्य प्रदेश में स्थित है तथा अवंतिका तीर्थ उज्जैन में स्वामी रामानंद संत आश्रम मंगलनाथ रोड उज्जैन में है। जहां श्री रामलला सरकार, श्री रामानंद हनुमान जी, श्री शालीग्राम भगवान, श्री कृष्ण बाल स्वरूप में तथा प्रस्तावित भव्य श्री राम जानकी मंदिर, श्री कनक बिहारी जी का निर्माण चल रहा है।
इन आश्रमों में कहीं सेवा प्रकल्प जैसे भगवान का नित्य पूजन-कीर्तन, भजन, गौ सेवा, सत्संग तथा भोग-महाप्रसाद वितरण, शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिविर अन्य सेवा एवं स्वाध्याय के प्रकल्प संचालित हैं।
महाराज श्री के द्वारा कई ग्रंथ एवं पुस्तक प्रकाशित हैं, जिनमें प्रज्ञान निर्भर, श्री अध्यात्म राम रक्षा विमर्श, परमार्थ पथये, काशी मार्तंड प्रारंभिक, काशी मार्तंड पूर्ण पुस्तक, रामार्चन पूजन, श्री राम हवन एवं अनुष्ठान विधि, श्री गुरु गीता,
आत्म चिंतन योग पुस्तक २०१९, प्रेम दीवाना भक्त पुस्तक, मातृ सुधा पार्वती बेन और मनीलाला पुस्तक, मानसकार श्री गोस्वामी तुलसीदासजी पुस्तक, परमार्थ पाथेय इन ग्रंथों में जीवन जीने के उपदेश एवं शास्त्र सार के माध्यम से भगवत प्राप्ति का मार्ग बताया है।
महाराज जी कहते हैं कि इस जीव का सब कार्य सुनिश्चित है और वह सब अपने आप हो रहा है। उसमें आप और हम कुछ नहीं कर रहे। ईश्वर ने अपने संकल्प में जैसा रच रखा है, वही हो रहा है। हम-आप उससे अभिन्न हैं। सिर्फ अज्ञान के कारण अपने को अलग मान कर दु:ख, चिंता, भय, शोक आदि के द्वारा परेशान होते हैं। जब आप समझ जाते हैं कि प्रभु का प्रत्येक विधान मंगलमय है और वह सब हमारे कल्याण के लिए ही हो रहा है तो प्रभु कृपा से हम उनके काफी निकट होते हैं। अपने अहंकार को दूर कर उनकी इच्छाओं में अपनी इच्छा मिला दें तो सब आनंद ही आनंद होगा।
स्वामी श्री त्यागी जी ने बताया कि रामानंद संत आश्रम उज्जैन में जो मंदिर बन रहा है। श्री राम जानकी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध होगा, जिसमें श्री सीताराम जी युगल सरकार श्री पद्मासन स्वरूप में विराजमान होंगे। उनके साथ में भगवान शिव आशुतोष श्री महाकाल स्वरूप में स्फटिक के शिवलिंग की ढाई फीट की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की जाएगी। जिसके दर्शन मात्र से ही भक्तों के सब कार्य सिद्ध होंगे। मंदिर भव्य विशाल बनाया जा रहा है। मंदिर में जगतगुरु श्री रामानंदाचार्य जी महाराज की एवं हनुमान जी महाराज के विग्रह सभा मंडप में विराजमान होंगे। मंदिर का शिखर सोमनाथ मंदिर के जैसा बनेगा।
महाराज श्री से पूछा गया कि उज्जैन सिंहस्थ २०२८ के पूर्व ही मंदिर निर्माण पूर्ण हो जाएगा तो महाराज श्री द्वारा कहा गया कि मंदिर का निर्माण चल रहा है। हनुमान जी भगवान की जब इच्छा होगी, तब निर्माण पूर्ण हो जाएगा। महाराज श्री के द्वारा कहा गया कि संत सेवा ही भागवत सेवा है। केवल एक संत ही पूरे विश्व को कल्याण की तरफ ले जा सकता है।
उज्जैन रामानंद आश्रम के महंत श्री मुनि शरण दास जी ने बताया कि सतगुरु देव भगवान श्री स्वामी १००८ अभिराम दास त्यागी महाराज पिछले महीने आश्रम आए। उनके आने पर भक्तों में खुशी की लहर देखी गई। पूज्य गुरुदेव ने केदारनाथ तपस्या के पश्चात १६ से अधिक आश्रमों का निर्माण किया, जिसमें से एक सप्तपुरियों में एक श्री अवंतिका तीर्थ उज्जैन में है। जहां संतों की सेवा, ब्राह्मण की सेवा, गौ सेवा कई प्रकार के संत वैष्णव संप्रदाय, नाथ संप्रदाय, कबीर संप्रदाय के संत रहते हैं। इनके द्वारा आश्रम में भजन कीर्तन स्वाध्याय, सत्संग होता है तथा महाराज श्री का उद्देश्य संत सेवा ही भागवत सेवा है। संत वेश ही भगवत वेश है। इस आश्रम में श्री रामचंद्र जी, श्री हनुमान जी महाराज एवं भगवान शालिग्राम जी का पूजन-अर्चन होता है। तेरा भाई त्यागी की परंपरा में सप्त दिवसीय झूला महोत्सव सावन के विशेष महीने में संपन्न होता है जिसमें भगवान को झूला झुलाया जाता है। भगवान के श्री चरणों में पद एवं भजन अर्पित किए जाते हैं। पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्री रामार्चन महायज्ञ किया गया, जिसमें श्री रामचंद्र जी का पूजन किया गया। ५४ देवी-देवताओं का हवन किया गया तथा श्री रामचंद्र सरकार को पुष्पों के माध्यम से आहुतियां प्रदान की गर्इं। पूज्य गुरुदेव द्वारा देश भर में रामार्चन महायज्ञ कराए जाते हैं, जिसमें देश-विदेश के संत एवं भक्त शामिल होते हैं। आश्रम में गौशाला है, जिसमें गौ माता की नित्य सेवा होती है तथा वहीं परिसर में विशाल गौशाला का निर्माण भी हो रहा है, जहां पर ५०१ गायों की सेवा होगी।
अवंतिका तीर्थपुरी उज्जैन सप्तपुरियों में एक है, जहां मोक्षदायिनी मां शिप्रा विराजमान हैं। मां शिप्रा की शुद्धिकरण के लिए महाराज श्री से विचार जाने तो महाराज श्री ने कहा कि देश-विदेश से कई श्रद्धालु दर्शन एवं स्नान के लिए उज्जैन आते हैं। लेकिन मां शिप्रा का जल दूषित है, जिसमें नालों का पानी मिलाया जा रहा है। शासन एवं सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए। सरकारी योजनाओं का मूल स्वरूप में क्रियान्वित होना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री जी से विशेष निवेदन किया कि शिप्रा शुद्धिकरण के लिए बिल्कुल भी कोताही नहीं बरतनी चाहिए तथा सरकारी एवं शासन की योजनाओं का पैसा वास्तविक रूप में कार्य में लगना चाहिए। महाराज जी ने मां शिप्रा को शुद्ध रखने का आह्वान किया। महाराज श्री ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव बड़े धार्मिक प्रवृत्ति के हैं, उन्हें इसकी ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। हमें मुख्यमंत्री पर बड़ा गर्व है कि वह उज्जैन के हैं, उन पर बाबा महाकाल की कृपा बनी है। हम साधु-संत उनसे अनुरोध करते हैं कि वह शिप्रा का शुद्धिकरण करवा कर साधु-संतों के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करें। उज्जैन सिंहस्थ २०२८ पूर्व ही मोक्षदायिनी मां शिप्रा का तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकास हो।