जयपुर के ‘राज मंदिर’ सिनेमा में देखी गर्इं अमिताभ बच्चन की फिल्मों का जादू सिंगापुर में पढ़ाई के दौरान विवेक गोम्बर पर कुछ ऐसा चला कि वे एक्टिंग का कोर्स करने के लिए बोस्टन के एमरसन कॉलेज चले गए। वहां उन्होंने एक्टिंग में डिप्लोमा किया और फिल्म ‘सर’ से लोगों के बीच लोकप्रिय होनेवाले विवेक की वेब शो ‘लुटेरे’ में परफॉर्मेंस की वाहवाही हो रही है। पेश है, विवेक गोम्बर से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
वेब शो ‘लुटेरे’ में आपको मौका कैसे मिला?
मुझे प्रोडक्शन ऑफिस से फोन आया उसके बाद मैंने उनसे मुलाकात की। जब जय मेहता ने मुझे मेरा रोल सुनाया तो मुझे एहसास हुआ कि इस किरदार को निभाना बड़ा चैलेंजिंग है। मैंने ऑडिशन दिया। ऑडिशन के बाद मैंने और चार ऑडिशन दिया। पांचवां ऑडिशन देने के बाद मेरी कास्टिंग हुई। उसके बाद मेरा लुक टेस्ट हुआ। मेरे लिए वो ६ महीने काफी तनाव भरे थे। क्या मेरा सिलेक्शन होगा? क्या मुझे ऑडियंस स्वीकारेगी? क्या मैं अपने किरदार के साथ न्याय कर पाऊंगा? जैसे कई सवाल मेरा पीछा नहीं छोड़ रहे थे।
क्या देखकर आपको ‘लुटेरे’ में मौका दिया गया?
मेरी फिल्म ‘सर’ में मेरी परफॉर्मेंस को देखने के बाद बॉलीवुड के साथ ही सोशल मीडिया पर अनगिनत लोगों ने मुझे बेहद अच्छी और सकारात्मक प्रतिक्रियाएं दी। मैं तब खुद ही दंग रह गया। मैंने कभी सोचा नहीं था कि फिल्म ‘सर’ से मुझे इस कदर तारीफ मिलेगी। सच कहूं फिल्म ‘सर’ मेरे जीवन में हवा के ठंडे झोंके की तरह आई और मेरी जिंदगी ही बदल गई। खैर, हंसल मेहता इंडस्ट्री के वो जौहरी हैं जिनके साथ काम कर हर कोयला रूपी हीरा अपनी किस्मत तराशना चाहता है।
फिल्म ‘लुटेरे’ का अनुभव कितना अलग और यादगार रहा?
हंसल मेहता ऐसे निर्देशक हैं, जो सेंसिटिव फिल्मों को बनाने के लिए जाने जाते हैं। जय मेहता के पास टैलेंट का खजाना है। बहुत ही बारीकी से उन्होंने स्क्रिप्ट पर काम किया है। पूरा शो साउथ अप्रâीका में शूट करना बिल्कुल भी आसान नहीं था।
क्या आपके टैलेंट का सही इस्तेमाल इंडस्ट्री कर पाई है?
अब इस प्रश्न का मैं क्या जवाब दूं। इस वर्ष मेरे अभिनय करियर को २० वर्ष पूरे हो गए। करियर के इन २० वर्षों में मैंने जो रोल निभाए शायद उनमें कुछ कमी रह गई हो, ऐसे में लोग मुझे काम नहीं दे रहे यह शिकायत करना सरासर गलत होगा।
रोल चुनने के मामले में कितने चूजी हैं आप?
अपना नया काम स्वीकारना भी आसान नहीं होता, लेकिन उसे स्वीकारना भी तर्क की कसौटी पर एक चैलेंज है। जब लोगों के सामने मेरे विभिन्न रोल आएंगे तब जाकर इंडस्ट्री को, दर्शकों को मेरी क्षमताओं का अंदाज होगा। विभिन्न किरदार जब ऑफर होंगे तो उसमें जो चैलेंजिंग होगा उसे मैं स्वीकार सकता हूं। मेरी खुशकिस्मती यही है कि फिल्म ‘लुटेरे’ में मुझे मौका मिला, लेकिन यह प्रोजेक्ट रिलीज होने में वैसे काफी वक्त गया। मैं बड़े फख के साथ कहना चाहता हूं कि मैंने ही ‘लुटेरे’ प्रोजेक्ट किया। मैं विविधता भरे रोल कर सकता हूं यह कहने से बेहतर यही है कि मेरा काम लोगों के सामने आए। यह एक कड़वी सच्चाई है कि अभिनय के क्षेत्र में बहुत ही टफ कॉम्पिटिशन है।
क्या काम पाने के लिए आप निर्माता-निर्देशकों से संपर्क करते हैं?
काम पाने के लिए मैं किसी भी निर्माता-निर्देशक से संपर्क नहीं करता। कई बार उभरते कलाकार जब उनसे काम की याचना जब करते हैं तो वे डिस्टर्ब हो सकते हैं। मैं जब खुद निर्माता बना तब मैंने एहसास किया कि वैâसे एक मेकर को कई जिम्मेदारियों का सामना करना पड़ता है। अब पहले का समय नहीं रहा, कलाकारों को कास्टिंग डायरेक्टर ही ऑडिशन के जरिए सिलेक्ट करते हैं। सिलेक्टेड कलाकारों से ही निर्माता-निर्देशक मिलते हैं। निर्देशक जय मेहता मेरे अच्छे दोस्त बन गए हैं, लेकिन काम मांगने के लिए मैं अपनी दोस्ती का इस्तेमाल करूं यह मुझे गंवारा नहीं। काम मांगने के लिए जो प्रोसेस है, मैं उसी के जरिए काम पाना चाहता हूं।
आपकी जर्नी कितनी संतोषजनक रही?
मेरी जर्नी आसान नहीं मुश्किलों भरी रही है, लेकिन संतुष्टि इस बात की रही कि मैंने जो भी प्रोजेक्ट्स किए वो मुझे सुकून देते रहेंगे।