सामना संवाददाता / मुंबई
हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह को जबरदस्त आर्थिक फटका लगा है। इसके बाद अडानी समूह द्वारा पिछले कुछ दिनों में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। अडानी समूह ने अपनी कई कंपनियों के मुंबई स्थित मुख्यालयों को गुजरात स्थानांतरित कर दिया है। इसमें एसीसी और अंबुजा इन कंपनियों का समावेश है। इन कंपनियों के मुख्यालय गुजरात जाने के कारण अब अनेक महत्वपूर्ण प्रशासकीय और नीतिगत निर्णय वहां से लेने की शुरुआत हुई है, परंतु कंपनी के सीईओ अजय कुमार, अभी मुंबई में ही हैं। इसलिए अंबुजा और एसीसी कंपनियों में दो प्रशासकीय केंद्र तैयार हो गए हैं, परिणामस्वरूप कंपनियों का कार्यभार संभालना और निर्णय लेने के संदर्भ में बहुत भ्रम दिखाई दे रहा है।
हिंडेनबर्ग ने हिला डाला!
अडानी समूह ने पिछले वर्ष सितंबर महीने में ६.५ अरब डॉलर की एसीसी और अंबुजा सीमेंट इन कंपनियों को खरीदा था। तब कंपनी का मुख्यालय मुंबई में था। मात्र, हिंडेनबर्ग रिपोर्ट के बाद शेयर बाजार में हुई उथल-पुथल और संभावित जांच के मद्देनजर अडानी समूह कई कंपनियों के मुख्यालय को मुंबई से गुजरात ले गया है। कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी अमदाबाद में हैं और उनके कनिष्ठ अधिकारी मुंबई में, ऐसी स्थिति है। कामकाज के लिए उन्हें मुंबई और अमदाबाद ऐसा चक्कर बार-बार मारना पड़ रहा है। इस परेशानी से कई कर्मचारी त्रस्त हो गए हैं। बताया जा रहा है कि जो कर्मचारी गुजरात जाने के मूड में नहीं हैं, उन्होंने कहीं और नौकरी की तलाश शुरू कर दी है, जिसमें मुख्य रूप से महिला कर्मचारियों का समावेश है।
दस हजार हैं कर्मचारी
अंबुजा और एसीसी इन दोनों कंपनियों में दस हजार कर्मचारी मुंबई में कार्यरत हैं। इसमें एसीसी कंपनी के ६ हजार कर्मचारियों का समावेश है। इनमें से ६० फीसदी कर्मचारी मैनेजमेंट के मैनपॉवर हैं। शेष ४० प्रतिशत कर्मचारी फ्लोअर वर्कर हैं, जबकि मुंबई में अंबुजा कंपनी के ४,७०० लोग काम कर रहे हैं। इनमें से ७० फीसदी कर्मचारी मैनेजमेंट वैâटेगरी के हैं। चूंकि दोनों कंपनियों ने अपना मुख्यालय गुजरात में स्थानांतरित कर लिया है, इसलिए उनके वरिष्ठ अमदाबाद कार्यालय से काम कर रहे हैं। इसलिए मुंबई के कर्मचारी जो अमदाबाद में बसने के विकल्प को स्वीकार नहीं करते हैं, उनके पास गुजरात जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।