मुंबई में आंख दिखा रही थैलेसीमिया
महाराष्ट्र को डरा रहा सिकल सेल
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
शिंदे सरकार में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था आईसीयू पर आ गई है। बताया जा रहा है कि दवाओं की कमी से बीमारियां काबू में नहीं आ रही हैं, जबकि मुंबई में थैलीसीमिया तो महाराष्ट्र में सिकल सेल का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में थैलेसीमिया के करीब १० हजार मरीजों का इलाज हो रहा है, जिसमें आधे मरीज अकेले मुंबई में ही हैं। इसी तरह से महाराष्ट्र का विदर्भ इलाका सिकल सेल का गढ़ बना हुआ है। महाराष्ट्र में इस समय कुल एक लाख में से ५० हजार मरीज अकेले विदर्भ में पंजीकृत किए गए हैं।
अनुवांशिक है बीमारी
थैलेसीमिया और सिकल सेल सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और सिकलसेल भारत मिशन के सदस्य डॉ. विंकी रुघवानी ने कहा कि यह अनुवांशिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों में आती है। उन्होंने कहा कि हम भले ही शारीरिक रूप से भले स्वस्थ दिखाई देते हैं, लेकिन जिसके खून में ट्रेट है और वह शादी समान ट्रेट वाली लड़की से करता है, तो उसके बच्चों को सिकल सेल होना तय है। ऐसे में उसने पैदा होने वाला बच्चा पूरे जीवन शरीर में दर्द रहेगा और उसे खून की जरूरत पड़ेगी। कई बार अस्पतालों में भर्ती होना पड़ता है।
प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर नहीं मिल रही दवाएं
देश में अभी भी बहुत सारे मरीज दूरदराज गांवों में रहते हैं, जिन्हें उनके नजदीकी प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में सरकार को चाहिए कि प्राइमरी हेल्थ सेंटर में बीमारी की जरूरी दवाएं उपलब्ध कराए। महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में भी यही स्थित है। डॉ. रुघवानी ने कहा कि इस बीमारी को हम रोक सकते हैं। इसके लिए खून की जांच जरूर कराएं, ताकि परिवार में ऐसा बच्चा पैदा न हो, जिसे जीवन भर यह तकलीफ सहनी पड़े।