सावधानी बरतने की सलाह
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र आई फ्लू की चपेट में आ चुका है। राज्य में इस समय एक लाख से भी अधिक आई फ्लू के मरीज मिले हैं। दूसरी तरफ इस बीमारी की आई बाढ़ से स्वास्थ्य विभाग की नींद फुर्र यानी उड़ गई है। विभाग बीमारी को नियंत्रित करने के लिए तमाम तरह के उपाय कर रहा है। साथ ही विभाग जनता से यह भी अपील कर रहा है कि वे आंखों को लेकर सभी जरूरी सावधानियां बरतें, ताकि आंख आने की लहर को रोका जा सके।
उल्लेखनीय है कि बरसात के मौसम में नमी काफी हद तक बढ़ जाती है। इससे वायरस को पनपने का भरपूर मौका मिलता है। नमी के कारण संक्रमण लंबे समय तक शरीर में रहता है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, महाराष्ट्र में इस समय वायरस के कारण आंखों के मरीज काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, ३१ जुलाई तक महाराष्ट्र में करीब एक लाख मरीज आंख आने की बीमारी `आई फ्लू’ से पीड़ित हैं।
डॉ. सुभांगी अंबाडेकर के अनुसार, यदि आंखों का संक्रमण संस्थागत स्थानों जैसे स्कूल, छात्रावास, अनाथालय आदि में होता है तो प्रभावित बच्चे या व्यक्ति को अलग-थलग रखा जाना चाहिए। आंखों का संक्रमण एक संक्रामक रोग है। इसलिए यह एक से दूसरे में तेजी से पैâलता है। इससे बचने के लिए नियमित रूप से हाथ धोना जरूरी है। आंख आने के बाद स्टेरॉयड आई ड्रॉप से बचना चाहिए। मरीजों को इलाज के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या मनपा के अस्पताल में जाना चाहिए।
डेंगू वायरस का मिला सबसे खतरनाक स्ट्रेन
मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में बारिश के चलते मौसमी बीमारियों ने लोगों को डराना शुरू कर दिया है। शहर में सबसे तेजी से डेंगू, मलेरिया और गैस्ट्रो की बीमारियों ने आतंक मचा रखा है। इन सबके बीच दिल्ली से एक डराने वाली खबर सामने आ रही है। बताया गया है कि दिल्ली में राजधानी दिल्ली में डेंगू वायरस का खतरनाक स्ट्रेन पैâल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, डेंगू वायरस के चार प्रकार डेन-१, डेन-२, डेन-३ और डेन-४ हैं। इसमें से डेन-२ सबसे खतरनाक है। इसमें यदि बुखार के कारण रक्तस्राव हो तो मरीज की हालत गंभीर हो सकती है। यह स्थिति शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम कर देती है, जिससे शरीर के अंदर और बाहर रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही पेट दर्द की समस्या भी बढ़ जाती है और नाक, मसूड़ों, उल्टी, मल से खून आने लगता है।
बीमारी के लक्षण
आंखों का लाल होना, नम आंखें, आंखों की सूजन, आंखों से चिपचिपा द्रव निकलना, आंखों में जलन, चुभन, भारी महसूस होना आदि लक्षण हैं। बीमारी से बचने के लिए आंखों को साफ पानी से धोएं। दूसरे व्यक्ति के रुमाल, तौलिए, कपड़े से अपनी आंखें न पोंछें। आंखों को लगातार न छुएं, बाहर जाते समय चश्मे का प्रयोग करें। आपको कोई संक्रमण जैसे ही नजर आए तो किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।