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मानव संसाधन की कमी से जूझ रहा स्वास्थ्य क्षेत्र! …७० प्रतिशत निर्माण कार्य और ९० प्रतिशत नवीनीकरण का काम है अधूरा

– कैग ने जताई चिंता
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के तहत स्वास्थ्य संस्थानों में हर स्तर पर मानव संसाधन की कमी और बुनियादी ढांचे पर बोझ बढ़ने की समस्या को लेकर भारतीय लेखा महानियंत्रक की रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की गई है। यह रिपोर्ट शनिवार को महाराष्ट्र विधानसभा में पेश की गई। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक ने कहा कि बड़ी आबादी को पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए एक मजबूत स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे और सेवाओं की आवश्यकता होती है। आलम यह है कि ९० फीसदी नवीनीकरण और ७० प्रतिशत निर्माण अभी भी अधूरा है।
रिपोर्ट में बताया गया कि स्वास्थ्य क्षेत्र के तहत स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में हर स्तर पर मानव संसाधन की भारी कमी थी। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सेवाओं में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी २२ फीसदी, ३५ फीसदी और २९ फीसदी है। महिलाओं के अस्पतालों में यह कमी क्रमश: २३ फीसदी, १९ फीसदी और १६ फीसदी है। कैग ने बताया कि स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग में डॉक्टरों की कुल कमी २७ फीसदी, नर्सों की ३५ फीसदी और पैरामेडिकल स्टाफ की ३१ फीसदी है। रिपोर्ट में क्षेत्रीय असमानता आयुष कॉलेजों और अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी की भी बात कही गई है। इसी तरह, स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग के तहत ट्रॉमा केयर सेंटर में रिक्तियां क्रमश: २३ फीसदी और ४४ फीसदी थीं। बुनियादी ढांचे की कमी के कारण ३३ अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं अपर्याप्त हैं।

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