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सेहत का तड़का : डांस से बजा डंका … रेमो डिसूजा ने डांस और डाइट से साधी सेहत

एस.पी. यादव
मशहूर कोरियोग्राफर व फिल्म निर्माता-निर्देशक रेमो डिसूजा (रमेश गोपी नायर) का जन्म २ अप्रैल १९७४ को बेंगलुरु में हुआ। उनके पिता गोपी नायर भारतीय वायु सेना में शेफ थे। एयरफोर्स मेस के परिवेश के चलते बचपन से ही रेमो को फिटनेस से लगाव हो गया। कुछ साल पहले दिल के दौरे को झेलने के बाद स्वस्थ होकर लौटे रेमो का मानना है कि फिटनेस के लिए संतुलित डाइट सबसे अहम है।

रेमो ने गुजरात में जामनगर के एयरफोर्स स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। स्कूल के दिनों में रेमो एक एथलीट थे और १०० मीटर दौड़ में कई पुरस्कार जीते थे। बारहवीं की बोर्ड परीक्षा के दौरान उन्हें एहसास हुआ कि पढ़ाई में उनकी दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने तुरंत स्कूल छोड़ा और मुंबई पहुंच गए। मुंबई में रेमो ने कड़ा संघर्ष किया। दो रातें बिना कुछ खाए-पिए स्टेशन पर गुजारीं। बिना किसी गुरु के फिल्में और म्यूजिक वीडियो देख-देखकर डांस प्रैक्टिस शुरू कर दी। हालांकि वह माइकल जैक्शन को अपना डांस गुरु मानते हैं, क्योंकि माइकल जैक्शन के डांस मूव्स देखकर, उसमें अपने डांस स्टेप्स मिलाकर वह कोरियोग्राफर के रूप में स्थापित हुए। अपने २५ साल से अधिक के करिअर के दौरान रेमो ने १०० से अधिक फिल्मों में कोरियोग्राफी की है। इसके अलावा वह लगातार सात सीजन तक डांस रियलिटी शो डांस प्लस के जज रहे हैं। रेमो ने २००९ में डांस रियलिटी शो ‘डांस इंडिया डांस’ में बतौर जज और मेंटर टीवी की दुनिया में अपनी पारी शुरू की। २०११ में कॉमेडी फिल्म ‘फालतू’ से वह डायरेक्टर बने। डांस आधारित फिल्म ‘एबीसीडी-एनी बॉडी वैâन डांस’ में उनके निर्देशन की काफी तारीफ हुई । ‘ये जवानी है दीवीनी’, ‘बाजीराव मस्तानी’ जैसी फिल्मों में उनकी कोरियोग्राफी की खूब चर्चा हुई। माता-पिता की सहमति से उन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार किया और रमेश नायर से रेमो डिसूजा बन गए।
दिल के दौरे ने बदली दिनचर्या
रेमो पहले जिम में जमकर पसीना बहाते थे, लेकिन ११ दिसंबर २०२० को जिम में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा। कोकिलाबेन अस्पताल में उनकी सर्जरी हुई। इसके बाद उन्होंने अपने वर्कआउट रूटीन में काफी बदलाव किया है। अब वह रोजाना ९० मिनट वर्कआउट करते हैं। सुबह एक घंटे तक एरोबिक एक्सरसाइज करते हैं, जिसमें ट्रेडमिल पर चलना, स्किपिंग या साइकिल चलाना शामिल है। शाम को आधा घंटा टहलते हैं। ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लिए ताई ची मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस करते हैं। योग, प्राणायाम और तैराकी के अलावा डांस प्रैक्टिस से खुद को स्वस्थ रखते हैं।
नून-तेल-चीनी से परहेज
दिल का दौरा पड़ने के बाद से रेमो ने अपने भोजन में नमक, तेल और शक्कर का इस्तेमाल न के बराबर कर दिया है। मांसाहारी भोजन भी छोड़ दिया है। अब वह छोले भटूरे, हरी सब्जियां, सलाद, साबूदाना की खिचड़ी आदि खाना पसंद करते हैं। रात को बेहद हल्का भोजन लेते हैं, जिसमें अमूमन सूप और सलाद शामिल होता है।

रेमो डिसूजा को पसंद है साबूदाना खिचड़ी की रेसिपी
सामग्री: एक कप साबूदाना ( कम से कम दो घंटे पानी में भिगोया हुआ), आधा कप मूंग ( कम से कम डेढ़ घंटा भिगोई हुई), छोटे-छोटे टुकड़ों में कटे दो उबले आलू, मुट्टी भर भुनी मूंगफली, एक चम्मच जीरा, एक लाल मिर्च, एक चम्मच काली मिर्च, दो चम्मच घी, आधा चम्मच नींबू का रस, दो चम्मच धनिया पत्ती और स्वादानुसार काला नमक।
विधि: एक कढ़ाई में घी गर्म करें और उसमें जीरा और लाल मिर्च डालें। जब तक जीरा चटकने न लगे तब तक भूनिए। उबले आलू डालकर नमक और काली मिर्च डालकर भूनें। भीगी हुई मूंग दाल के नरम होने तक पकाएं। भीगा हुआ साबूदाना, साथ ही बची हुई काली मिर्च और नमक डालें। सभी चीजों को एक साथ २-३ मिनट तक पकाएं। इसमें भुनी हुई मूंगफली और नींबू का रस मिलाएं। खाने को एक प्लेट में रखें और कटी हुई हरी धनिया से सजाएं।
फायदे: इसकी एक खुराक से ६५५ कैलोरी मिलती है। इसमें मौजूद वैâल्शियम, आयरन और विटामिन हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखता है। इसमें मौजूद पोटैशियम ब्लड सर्वुâलेशन को बेहतर बनाता है। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। यह वजन को नियंत्रित रखने, पाचन-तंत्र को स्वस्थ रखने में कारगर है।

(लेखक स्वास्थ्य विषयों के जानकार, वरिष्ठ पत्रकार व अनुवादक हैं। ‘स्वास्थ्य सुख’ मासिक के संपादक रह चुके हैं।)

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