सामना संवाददाता / मुंबई
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सोमवार को कहा कि उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात हुआ और हिंदू धर्म में विश्वासघात के लिए कोई स्थान नहीं है। विश्वासघात से उनके पक्ष को तोड़ा, उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया। विश्वासघात के लिए हिंदू धर्म में कोई स्थान नहीं है ये खुद हिंदू धर्म के धर्मगुरु कह रहे हैं। यह सुनकर कुछ लोगों के पेट में पीड़ा उठ रही होगी। उन्हें हिंदू धर्म के शिखर पुरुष धर्मगुरु की राय मंजूर नहीं होगी। अब वे शंकराचार्य को गलत साबित करेंगे तो मुझे उसे लेकर कोई भी आश्चर्य नहीं होगा, क्योंकि पूरा महल ही झूठ की बुनियाद पर खड़ा है। इस तरह का तंज शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने कसा है।
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती मुंबई में थे। अपने मुंबई दौरे में वे सोमवार को ‘मातोश्री’ पर आए। हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के आवास में आने की उनकी इच्छा थी। साथ ही उन्हें शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात भी करनी थी। उनका सोमवार को अपने शिष्यों के साथ ‘मातोश्री’ पर आगमन हुआ। वहां हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज के मुताबिक उनका स्वागत भी किया गया। धार्मिक शिष्टाचार के मुताबिक जैसे उनका स्वागत होना चाहिए था, वैसे ही उनका स्वागत किया गया। शंकराचार्य ने उद्धव ठाकरे, ठाकरे परिवार को और शिवसेना को आशीर्वाद दिया। उन्होंने कुछ देर तक चर्चा भी की और उसके बाद मीडिया से बातचीत की एवं अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि महाराष्ट्र की सरकार गिराई गई। यह जनता का अनादर है। उद्धव ठाकरे के साथ बड़ा विश्वासघात हुआ है। उसे लेकर हमारे मन में बहुत ज्यादा दुख है। उद्धव ठाकरे फिर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हों।
नहीं होना चाहिए किसी को दु:ख
संजय राऊत ने कहा कि कोर्ट में हमारा असंवैधानिक सरकार के खिलाफ मामला चल रहा है। वह जब तक चलेगा तब तक चलेगा, लेकिन आदरणीय शंकराचार्य ने हम सभी को जो आशीर्वाद दिया और हम पर हुए अन्याय को लेकर जिस तरह से खेद व्यक्त किया, वह हमारे लिए बड़ी बात है। बालासाहेब ठाकरे द्वारा गठित की गई और उद्धव ठाकरे जिसका नेतृत्व कर रहे हैं, उस शिवसेना का जिस तरीके से टुकड़ा किया गया, उसे हिंदुत्व नहीं कहा जा सकता है। यह हिंदुत्व का विश्वासघात है, यह शंकराचार्य का कहना है। शंकराचार्य हिंदू धर्म के सर्वोच्च धर्म गुरु हैं, उन्हें राय रखने का अधिकार है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय भी उन्होंने अपनी राय रखी थी। संजय राऊत ने कहा कि शंकराचार्य ने जो उद्धव ठाकरे को आशीर्वाद दिया है, उससे किसी को दुख नहीं होना चाहिए।