मुख्यपृष्ठग्लैमर‘दिल और दिमाग को बैलेंस रखना चाहिए!’ -हुनर हाली

‘दिल और दिमाग को बैलेंस रखना चाहिए!’ -हुनर हाली

ग्लैमर और अध्यात्म दोनों मनुष्य जीवन के दो विभिन्न छोर हैं। एक की ओर जाओ तो दूसरा दूर चला जाता है। मगर टीवी की मशहूर अभिनेत्री हुनर हाली ने ग्लैमर और अध्यात्म के बीच काफी खूबसूरत संतुलन साधा है, जो उनके व्यक्तिव में भी नजर आता है। महाकुंभ के शुरू होने से ठीक पहले वे प्रयागराज में थीं। इन दिनों मुंबई में आयोजित सद्गुरु के कार्यक्रम इनर इंजीनियरिंग में शामिल होकर उनके सानिध्य में आध्यात्मिक चिंतन में लीन हैं। पेश है, ‘दोपहर का सामना’ कार्यालय में हुनर हाली से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

 ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़ी होने के बावजूद आपका अध्यात्म के प्रति गहरा झुकाव है, पर आप महाकुंभ के पहले ही प्रयागराज हो आईं?
हां, मैं हाल ही में प्रयागराज गई थी और अगले महीने फिर जाने की सोच रही हूं, ताकि पुन: उस पवित्र धरती पर जाकर गंगा मैया के दर्शन कर सकूं। वहां इतनी ज्यादा भीड़ है इसलिए मैंने पहले ही वहां के प्रसिद्ध बड़े हनुमान जी महाराज का दर्शन कर लिया। अब महाकुंभ की भीड़ को देखकर वहां दर्शन बंद कर दिया गया है। सच बताऊं तो वह शहर काफी अलग है। वहां के लोग काफी प्यारे हैं। एक अलग ही पवित्र दुनिया है।

 आप सद्गुरु की अनुयायी हैं। ग्लैमर इंडस्ट्री में होते हुए उनसे कैसे जुड़ाव हो गया?
मैं २००७ में इस इंडस्ट्री में आई थी। मेरी शुरुआत काफी अच्छी थी और मैंने कई शोज में काम किया। मैं अपने पापा के काफी करीब थी। अपनी हर बात उनसे शेयर करती थी। फिर वे हमें छोड़कर इस दुनिया से चले गए। यह मेरे लिए काफी शॉकिंग था। उनके जाने के बाद मैं जिंदगी में काफी अकेली हो गई थी। अकेलेपन के उस दौर में मेरे एक दोस्त ने मुझे सद्गुरु की कुछ लाइनें सुनाईं तो उसका मुझ पर काफी गहरा असर हुआ और मैं उनसे काफी प्रभावित हुई। फिर मैंने उनके बारे में पढ़ा और जाना। इसके बाद मेरा झुकाव उनकी ओर होता चला गया।

 तो इस तरह आपका और अध्यात्म का नाता बन गया?
जी हां, बिल्कुल। इस तरह अध्यात्म के मैं करीब आ गई। मुझे महसूस हुआ कि यहां कोई किसी का नहीं है। इसलिए मैंने अपनी जिंदगी में ज्यादा भीड़ नहीं रखी। बहुत कम दोस्त बनाए।

 तो अध्यात्म का आपके जीवन पर क्या प्रभाव हुआ?
बहुत ज्यादा। देखिए, हमारी जिंदगी में बहुत सी चीजें ऐसी होती हैं, जो हमें पता नहीं होती कि वह क्यों हुआ, वैâसे हुआ? ये सब लिखा होता है। जब समझ में न आए तो उसे छोड़ देना चाहिए। जब जिंदगी परमानेंट नहीं है तो क्यों किसी चीज के पीछे पड़ना। आपको पीसफुल लाइफ जीना है तो एक जरिया पकड़ना होता है क्योंकि भगवान तो ऊपर से आपके पास आ नहीं सकते।

 अभी भी आप सद्गुरु के कार्यक्रम में जानेवाली हैं।
हां, यहीं पास में उनका चार दिनों का कार्यक्रम है, जिसका नाम ‘इनर इंजीनियरिंग’ है। इसका अर्थ है अपने भीतर के मन को शुद्ध करना। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मैं उन्हें बरसों से फॉलो कर रही हूं, पर कभी उनसे मिली नहीं। मेरी १३ सालों की तपस्या आज पूरी होनेवाली है।

 सद्गुरु की बातों से आपके जीवन में क्या परिवर्तन आया?
हमारी जिंदगी में अच्छा-बुरा चलता रहता है। हम उसमें खो जाते हैं। किसी भी सूरत में हमें एक्सट्रीम में नहीं जाना चाहिए। हमेशा बीच के मार्ग पर चलना और स्थिर रहना चाहिए। दिल और दिमाग को हमेशा बैलेंस रखना चाहिए। यह मेडिटेशन और स्प्रिचुअलिटी से ही संभव है। मेरे लिए सद्गुरु हैं, किसी और के लिए कोई और हो सकता है।

 अच्छा, सुना है आप इन दिनों ‘बिग बॉस’ में करणवीर मेहरा की जीत के लिए एक अभियान सा चला रही हैं।
तो करणवीर को क्यों नहीं जीतना चाहिए? वो सारे दिन कॉफी नहीं पीते रहते हैं। उनके ऊपर कोई क्रिमिनल केस नहीं है। वो सबसे ज्यादा एंटरटेनमेंट करते हैं। उनकी बातों से सीखने को मिलता है। ‘बिग बॉस-१८’ को उन्होंने करणवीर शो बना दिया है। उनके जो पैâन पेज हैं, उसमें तो करणवीर को विनर भी बना दिया है। अगर इस शो को फेयर और स्कवेयर करना है तो उन्हें ही जिताना चाहिए। अब कोई अगर अपने किसी लाडले को जिताना चाहे तो बात अलग है।
 आपने अब तक जितने टीवी शो किए हैं, उसमें आपके दिल के करीब कौन-सा है?
अभी हाल ही मैंने दंगल चैनल का शो ‘दीवानी’ खत्म किया है। इसमें मेरा किरदार देविका बासू का था। बहुत मजा आया क्योंकि जिस तरह से दौर बदल रहा है, उसमें बहुत कुछ एक्सप्लोर करने को था। इसी तरह ‘जी’ टीवी का शो ‘१२/१४ करोलबाग’ मेरे दिल के काफी करीब है। इस शो ने ही मुझे इंडस्ट्री में नाम और पहचान दी। इसी तरह कलर्स का शो ‘छल, शह और मात’ भी मेरा काफी अच्छा शो था।

 

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