• ग्लोबल वार्मिंग के चलते बढ़ेगा पीरियड
सामना संवाददाता / मुंबई
इस बार देश में फरवरी से ही हीटवेव का असर दिखाई देने लगा था। हालांकि, बीच-बीच में तापमान कम-ज्यादा होता रहा। फिलहाल, हीटवेव का हठ बढ़ता ही जा रहा है। मौसम विभाग की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ ही सालों में हीटवेव के पीरियड में १२ से १८ दिनों की बढ़ोतरी हो जाएगी। इसका लोगों के जीवन पर बहुत असर होने वाला है। इसको लेकर अभी से स्ट्रैटजी बनाने की जरूरत है। बता दें कि मार्च से जून के बीच ४० डिग्री से अधिक तापमान के दिनों को हीटवेव में गिना जाता है।
मौसम विभाग की रिपोर्ट `हीट एंड कोल्ड वेव्स इन इंडिया प्रॉसेसेज एंड प्रेडिक्टेबिलिटी’ में कहा गया है कि नई बनने वाली इमारतों में वेंटिलेशन और इंशुलेशन की अच्छी सुविधा, हीट स्ट्रेस के बारे में जागरूकता, वर्क शेड्यूल में बदलाव, कूल शेल्टर बनाना और जल्दी चेतावनी जारी करना आदि विषयों पर जोर देने की जरूरत है। मौसम विभाग का कहना है कि हर साल गर्मी बढ़ रही है। हीटवेव का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अभी से इन सारी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है।
२०६० तक हो जाएगा खतरनाक
मौसम विभाग ने कहा है कि २०६० तक हीटवेव के पीरियड १२ से १८ दिन बढ़ जाएंगे। इसके लिए १९६१ से २०२० तक के आंकड़ों का उपयोग किया गया है। बता दें कि भारत में दूसरी किसी भी प्राकृतिक आपदा से ज्यादा हीटवेव लोगों की जान लेती है। इस मामले में साइक्लोन एक अपवाद है।
कब होती है हीटवेव?
जब तापमान ४० डिग्री तक पहुंच जाता है, तब हीटवेव घोषित किया जाता है और जब तापमान ४० डिग्री से अधिक हो तब बहुत ही गंभीर श्रेणी की हीटवेव बताई जाती है। मार्च से जून के बीच में मध्य, उत्तर-पश्चिम भारत और आंध्र प्रदेश, ओडिशा के तट पर हीटवेव पड़ती है। उत्तर भारत में हीटवेव में थोड़ी कमी रहती है।
दो बार हीटवेव का असर
सामान्य तौर पर उत्तर भारत और आंध्र, ओडिशा के तट पर दो बार हीटवेव का असर होता है। कई जगहों पर साल में चार बार भी हीटवेव का प्रकोप देखने को मिलता है। ज्यादातर जगहों पर देखा गया है कि पिछले ६० साल में हीटवेव की प्रिâक्वेंसी और गंभीरता दोनों ही बढ़ी है। मौसम विभाग का कहना है कि पिछले ३० साल में हीटवेव के दिनों में ३ दिन बढ़ गए हैं। भविष्य में यह १२ से १८ दिन बढ़ने वाली है।