-१.३६ लाख करोड़ रुपए बकाया कोयला रॉयल्टी से जुड़ा है मामला
सामना संवाददाता / रांची
झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के ‘मिला क्या’ अभियान के जवाब में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कब मिलेगा १.३६ लाख करोड़ का मुद्दा प्रमुखता से उछाला था। इस मुद्दे के जरिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनता की नब्ज पकड़ ली। हेमंत सोरेन अपनी सभी चुनावी सभाओं में इसका जिक्र कर कहते रहे कि अगर १.३६ लाख करोड़ रुपए की राशि मिल जाती तो वे राज्य के विकास की योजनाओं को और तेजी से बढ़ाते।
हेमंत सोरेन ने चुनावी जनसभाओं में ये भी कहा कि कल्याणकारी योजनाओं को अधिकाधिक गति देने के लिए राशि की कमी आड़े आई। १.३६ लाख करोड़ रुपए बकाया के मुद्दे को वो लोगों तक पहुंचाने में सफल रहे। इसका परिणाम हुआ कि दो-तिहाई से अधिक बहुमत हासिल कर हेमंत सोरेन ने शानदार तरीके से वापसी की। राजनीतिक मोर्चे पर बड़ी जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब इस मुद्दे को आगे बढ़ाकर भाजपा और केंद्र सरकार को कानूनी मोर्चे पर भी घेरने की तैयारी में हैं। केंद्र पर कोयला रॉयल्टी बकाया मद के झारखंड के १.३६ हजार करोड़ रुपए बकाया के भुगतान के लिए वह कानूनी लड़ाई आरंभ करेंगे। राज्य की सत्ता संभालते ही हेमंत सोरेन ने अपनी पहली वैâबिनेट बैठक में ही इस एजेंडे को रखा है। इसमें निर्णय लिया गया कि सरकार इस भुगतान के कानूनी उपाय तलाशेगी। इसके लिए जानकार अधिवक्ताओं का पूरा पैनल गठित होगा। हेमंत सोरेन ने इस मुद्दे को उठाकर चुनाव में मतदाताओं को संदेश दिया था कि अगर यह राशि मिल जाती तो राज्य में कल्याणकारी योजनाओं को वह बेहतर तरीके से आगे बढ़ाते।
सीएम सोरेन ने केंद्र पर बकाया कोयला रॉयल्टी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी हवाला दिया। बीते २५ जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने खदानों और खनिज भूमि पर रॉयल्टी और कर वसूली से जुड़े मामले में पैâसला सुनाया था। इसमें कोर्ट ने कहा था कि खदानों और खनिज भूमि पर दी जानेवाली रॉयल्टी कोई कर नहीं है।