-सीएसएमटी बना चूहों का बसेरा
सामना संवाददाता / मुंबई
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस की इमारत जैसी धरोहर का उत्तरदायित्व मध्य रेलवे विभाग के पास है। मध्य रेलवे के अंतर्गत आने वाली धरोहर को किस प्रकार से नजरअंदाज किया जाता है, उसका जीता-जागता उदाहरण सीएसएमटी का मोटरमैन लॉबी है। जो पिछले चौदह साल से वनवास झेल रही है। यानी चौदह साल से उक्त लॉबी का रिनोवशन नहीं हुआ है। परिणाम स्वरूप मोटरमैन लॉबी चूहों का बसेरा बन गई है।
बता दें कि मोटरमैन लॉबी से हाल ही में १५६ मृत चूहे पाए गए हैं। यह लॉबी २०१० से बिना किसी नवीनीकरण के चल रही है। रेलवे ने लॉबी के रखरखाव की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद सीआरएमएस वैंâटीन समिति को सफाई के लिए पहल करनी पड़ी। अंतत: एडमिन विभाग को अपनी जिम्मेदारी का एहासास हुआ और सफाई और नवीकरण प्रक्रिया शुरू की।
मोटरमैन लॉबी में नॉन-पीक समय में (रात १०:३० बजे) आमतौर पर ७५ लोग एक समय में मौजूद रहते हैं, जबकि कुल क्षमता १२००-१४०० है। पंद्रह दिन पहले, शौचालय का काम चल रहा था और ड्रेनेज खुला हुआ था। सीआरएमएस ने खुले ड्रेनेज का विरोध किया, क्योंकि खुले हुए ड्रेन का इस्तेमाल कर चूहे एसी डक्ट में घुस रहे थे।
सुरक्षा के लिए मोटरमैन लॉबी है महत्वपूर्ण
मोटरमैन लॉबी ट्रेन नियंत्रण और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह प्लेटफार्म और ट्रेन पर नजर रखती है ताकि ट्रेनें समय पर चल सकें। यही कारण है कि वे अपनी लॉबी को कहीं और स्थानांतरित नहीं कर सकते। ऐसे में लॉबी में इतनी बड़ी संख्या में चूहों की उपस्थिति होना स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए खतरा बन गया है, इतना ही नहीं यह कर्मचारियों की कार्यक्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।