- मुंबई-नई मुंबई को जोड़नेवाले ब्रिज का होगा सर्वे
- फाउंडेशन के करीब जाकर रोबोट देगा एचडी फोटो
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई और नई मुंबई को जोड़ने के १९७३ में खाड़ी ब्रिज का निर्माण हुआ था। यह दोनों शहरों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण ब्रिज है। इस ब्रिज पर अब रोबोट की नजर रहनेवाली है। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) ने मुंबई में पहली बार पानी में बने ब्रिज की स्ट्रक्चरल स्टैबिलिटी जानने के लिए रोबोट के इस्तेमाल का फैसला किया है। रोबोट ब्रिज के खस्ताहाल होने की पल-पल की जानकारी भी देंगे। इस जानकारी के आधार पर क्रीक ब्रिज की मरम्मत की जाएगी।
एमएसआरडीसी के एक अधिकारी के मुताबिक ४२ पिलरवाले इस ब्रिज की मरम्मत के लिए सर्वे का काम होना है। गहरे पानी में करीब पांच दशक से खड़े फ्लाइओवर के पिलर के फाउंडेशन की जांच के लिए रोबोट की मदद ली जाएगी। इस स्ट्रक्चरल स्टैबिलिटी जानने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और कैमरे से लैस रोबोट का इस्तेमाल किया जाने वाला है। पहले इस काम के लिए बोट और गोताखोरों की मदद ली जाती थी। गोताखोर पानी में उतरने के बाद एक तय समय के बाद बाहर आ जाते थे लेकिन अब गोताखोरों की जगह पर इस अत्याधुनिक रोबोट को पानी में उतारा जाएगा। यह रोबोट लंबे समय तक पानी में रह सकता है। रोबोट में लगे हाईटेक कैमरे की वजह से वीडियो की विजिबिलिटी बेहतर होगी। पिलर के फाउंडेशन के करीब जाकर रोबोट उसका वीडियो और फोटो लेगा।
एमएसआरडीसी ने शुरू की प्रक्रिया
१९७३ में मुंबई-नई मुंबई को जोड़ने के लिए बने महत्वपूर्ण खाड़ी ब्रिज के स्ट्रक्चरल स्टैबिलिटी के लिए कंपनी के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए टेंडर भी निकाला गया है। कंपनी के चयन के बाद उसे १५ दिन में सर्वे पूरा करना होगा। सर्वे पर करीब १.५ करोड़ रुपए खर्च होंगे।