दिव्यांगों के स्टेट एडवाइजरी बोर्ड को
एक महीने में शुरू करने का दिया आदेश
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हाई कोर्ट ने कल गुरुवार को ‘घाती’ सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट में दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित नीतियों के मामले की सुनवाई चल रही थी। इस दौरान कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह स्टेट एडवाइजरी बोर्ड को एक महीने के भीतर शुरू करे।
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की बेंच ने कहा कि यह चिंताजनक है कि राज्य सरकार को अपने वैधानिक दायित्वों को पूरा करने के लिए अदालत से निर्देशों की जरूरत होती है। बेंच ने कहा कि राज्य सरकार को सुधारात्मक कानूनों को लागू करने के लिए अदालत के आदेशों का इंतजार नहीं करना चाहिए। चीफ जस्टिस ने पूछा, ‘क्या इससे ज्यादा चिंताजनक बात कुछ हो सकती है कि किसी कानून को लागू करने के लिए अदालत को निर्देश जारी करने प़ड़े। यह आपका (सरकार का) दायित्व है। इसके लिए भी आपको निर्देशों की जरूरत है?’ बेंच ट्रैफिक जाम के दौरान बाइक चालकों को फुटपाथों का सड़क की तरह इस्तेमाल करने से रोकने के लिए लगाए गए बोलार्ड के मुद्दे पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हालांकि, बोलार्ड के चलते व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने वाले दिव्यांग लोग भी फुटपाथ का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। बेंच ने कहा कि अगर स्टेट एडवाइजरी बोर्ड क्रियाशील होता तो अदालतों पर दिव्यांग व्यक्तियों के कल्याण से संबंधित मामलों का बोझ नहीं पड़ता। पीठ ने कहा, ‘हम इस मामले को बोर्ड के पास भी भेज सकते थे। वह सभी उपाय कर सकता था।’