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हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा हलफनामा …धन लुटाऊ योजनाओं पर बंद हो पैसों की बर्बादी!

जवाब दाखिल करने के लिए ३ सप्ताह का दिया समय
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाडली बहन योजना और अन्य लोकप्रिय योजनाओं के लिए मनमाने तरीके से धन लुटाए जाने के कारण राज्य का आर्थिक गणित बिगड़ गया है। इसके परिणामस्वरूप किसानों को मिलने वाले अनुदान में देरी हो रही है, साथ ही स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और रोजगार जैसी आवश्यक सेवाओं को भी प्रभावित किया गया है। मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में इस संदर्भ में एक जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका में यह दावा किया गया है कि सरकार के मनमाने तरीके से धनलुटाऊ योजनाओं के चलते किसानों और जनता की स्वास्थ्य योजनाओं पर भारी असर पड़ रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल वडपल्लीवार द्वारा दायर इस जनहित याचिका पर सुनवाई लंबित है। उन्होंने याचिका के साथ एक शपथ पत्र भी दाखिल कर यह आरोप लगाया। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति नितीन सांबरे और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ के समक्ष शुरू है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की बातें सुनने के बाद राज्य सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया है। अगले एक सप्ताह में सरकारी पक्ष को हलफनामा देने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता के शपथ पत्र पर जवाब दाखिल करने के लिए ३ सप्ताह का समय दिया है।
राज्य सरकार पर ८ लाख करोड़ कर्ज, फिर भी गंभीर नहीं
राज्य सरकार पहले से ही ८ लाख करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज में डूबी है, फिर भी डायरेक्ट वैâश ट्रांसफर और राजनीतिक रूप से प्रेरित खर्चों के लिए धन आवंटन जारी रखा गया है। याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि राज्य सरकार संसाधनों का न्यायसंगत वितरण करने की बजाय उन्हें गलत तरीके से उपयोग कर रही है। यह स्थिति समानता के अधिकार कानून का उल्लंघन करती है। इसके अलावा यह आर्थिक अनुशासन के नियमों का भी उल्लंघन है।

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