मुख्यपृष्ठखबरेंचैरिटेबल अस्पतालों को हाईकोर्ट की फटकार, बोर्ड पर लिखें ‘इलाज मुफ्त है’

चैरिटेबल अस्पतालों को हाईकोर्ट की फटकार, बोर्ड पर लिखें ‘इलाज मुफ्त है’

सामना संवाददाता / मुंबई 
पब्लिक ट्रस्ट एक्ट के तहत पंजीकृत अस्पतालों को हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है। औरंगाबाद पीठ ने आदेश दिया है कि ‘धर्मादाय’ (चैरिटी)के तहत आने वाले सभी अस्पतालों को कुछ ऐसे प्रावधान करने चाहिए कि उनकी सभी योजनाओं की जानकारी आसानी से गरीबों को दिखाई दे। साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि अस्पतालों को ऐसे ‘धर्मादाय’ वाले बोर्ड भी लगाने चाहिए। कोर्ट ने इसके लिए अस्पतालों को ३० दिन यानी एक महीने का समय दिया है।
अस्पताल बरत रहे लापरवाही
चैरिटी अस्पतालों को अस्पताल के अंदर और बाहर मराठी में ‘धर्मादाय’ और अंग्रेजी में ‘चैरिटेबल’ लिखा बोर्ड लगाना होगा। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान चैरिटी कमिश्नर ने राज्य में कुल चैरिटी अस्पतालों की संख्या, गरीबों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए उपलब्ध बिस्तरों, वास्तव में इलाज करा रहे मरीजों आदि के बारे में हाईकोर्ट को जानकारी दी। इस जानकारी के आधार पर आर.वी. घुगे और वाई.जी. खोबरागड़े की पीठ ने कहा कि एक प्रतिशत से भी कम अस्पतालों ने ऐसे बोर्ड लगाए हैं। २०१८ में ९९ फीसदी अस्पतालों ने चैरिटी कमिश्नर के आदेश की अनदेखी की।
याचिका में क्या है?
औरंगाबाद निवासी और जिला परिषद के सेवानिवृत्त सीईओ सुनील कौसडीकर ने इस संदर्भ में याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि चैरिटी अस्पताल गरीबों के लिए आरक्षित बिस्तरों को अन्य मरीजों को आवंटित करके अत्यधिक शुल्क वसूलते हैं।
क्या है छूट?
मुफ्त इलाज (वार्षिक आय ८५ हजार या उससे कम), ५०ज्ञ् रियायत (वार्षिक आय ८५ हजार से १.६० तक)
राज्य में ४६० धर्मार्थ अस्पताल
कुल ५१,६९३ बिस्तर उपलब्ध हैं
नि:शुल्क इलाज के ५,६५३ बिस्तर
बेंच ने क्या कहा?
चैरिटी कमिश्नर सर्वे करेंगे कि यह आदेश लागू हुआ या नहीं।
चैरिटी अस्पताल लाभार्थियों का रिकॉर्ड रखेंगे।
चैरिटी कमिश्नर की मदद से हर जिले से हर महीने जानकारी जुटाई जाएगी।

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