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संजय गांधी नेशनल पार्क में अतिक्रमण पर हाई कोर्ट सख्त … सरकार को ६ हफ्ते का अल्टीमेटम!

-अतिक्रमणकारियों का होगा पुनर्वास
-सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल
सामना संवाददाता / मुंबई
संजय गांधी नेशनल पार्क (एसजीएनपी) में बसे अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास के लिए सरकार की नाकामी पर मुंबई हाई कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह छह सप्ताह के भीतर इन अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास के लिए वैकल्पिक भूमि की पहचान करे।
इस मामले में कोर्ट की नाराजगी का कारण यह है कि सरकार ने पार्क के भीतर जो व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं, उन पर भी समय पर रोक नहीं लगाई। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जो अतिक्रमणकारी ने २०११ के बाद पार्क में बसे हैं, उन्हें बेदखल किया जाए। `सम्यक जनहित सेवा संस्था’ द्वारा १९९५ में दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) और कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट द्वारा २०२३ में दायर अवमानना याचिका के आधार पर यह सुनवाई हो रही थी। इन याचिकाओं में सरकार की ओर से अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास में हो रही देरी और पार्क में अवैध निर्माण पर आपत्ति जताई गई थी। सरकार ने इसके बावजूद कई बार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए। अधिवक्ता जनरल बिरेंद्र सराफ ने कोर्ट को बताया कि २०१६ की अधिसूचना के तहत एक जोनल मास्टर प्लान तैयार करने पर विचार किया गया था, लेकिन यह प्लान अभी तक पेश नहीं किया गया है। हालांकि, कई निर्माण परियोजनाओं को `नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड’ द्वारा मंजूरी दी गई थी, जो सरकार के पुनर्वास के दावे पर सवाल उठाती है।

सरकार की लगातार नाकामी
कोर्ट ने सरकार को आड़े हाथों लिया, क्योंकि सरकार १९९७ से अब तक कई बार दिए गए अदालत के आदेशों का पालन करने में विफल रही है। हर बार सरकार को निर्देश दिए गए थे कि पार्क में बसे अतिक्रमणकारियों को पुनर्वासित किया जाए, लेकिन इसे लेकर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

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