खुली गटरों को लेकर प्रशासन को लगी कोर्ट की फटकार
सामना संवाददाता / मुंबई
महानगर मुंबई में खुले गटर और ड्रेनेज लाइन के ढक्कन नहीं होने की समस्या को लेकर मुंबई हाईकोर्ट ने मनपा प्रशासन को जमकर फटकार लगाई है। मानसून के दौरान खुले मैनहोल को लेकर मनपा के पास क्या समाधान है? ऐसा सीधा सवाल हाई कोर्ट ने मनपा प्रशासन से किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने खुली गटरों की समस्या पर तत्काल कदम उठाने के लिए मनपा प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश नितिन एम. जामदार और न्यायमूर्ति संदीप वी. मार्ने की खंडपीठ ने आगामी बरसात के मौसम को देखते हुए तत्काल खुले मैनहोल को लेकर कार्रवाई की जरूरत है, ऐसा निर्देश मनपा प्रशासन को दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि मानसून के दौरान खुले मैनहोल की समस्या को तत्काल दूर करने के लिए एक विशेष सेल का गठन करें। मनपा की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मुंबई में सभी प्रमुख सड़कें और खराब सड़कों और गड्ढों से संबंधित जन शिकायतों के निवारण के लिए एक तंत्र तैयार किया जा रहा है। साथ ही मनपा मैनहोल और उसके बॉडी और ढक्कन की जियो-टैगिंग का विकल्प तलाश रही है ताकि मैनहोल कवर चोरी होने की स्थिति में वार्ड अधिकारी त्वरित कार्रवाई कर सकें। उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ ने २५ मई को मनपा को निर्देश दिया था कि वह शहर भर में सभी मैनहोल को कवर करने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में बताएं।
वरिष्ठ अधिवक्ता की याचिका पर हुई सुनवाई
वरिष्ठ वकील रूजू ठक्कर ने एक अवमानना याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान मनपा पर आरोप लगाया गया कि मनपा अधिकारी मैनहोल को लेकर फरवरी और अप्रैल २०१८ के उच्च न्यायालय के आदेशों को लागू करने में विफल रहे हैं। मैनहोल खुले होने से कइयों की मौत हो चुकी है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि बांद्रा (पश्चिम) में एक सड़क पर सेफ्टी ग्रिल के बिना चार खुले मैनहोल थे, जो कि पैदल चलने वालों और वाहनों के लिए खतरा बन गए थे। ठक्कर ने बुधवार को कहा कि मैनहोल पर कोई सेफ्टी ग्रिल आज भी नहीं हैं। सभी अनुपालन कागजों पर दिखाए गए लेकिन वास्तव में जमीन पर कुछ भी नहीं किया गया, जिस पर कोर्ट ने मनपा से जवाब तलब किया।