मनमोहन सिंह
हिमाचल प्रदेश में अंतिम चरण में १ जून को मतदान होना है। लोकसभा चुनाव इस बार दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि इस बार कांग्रेस और भाजपा के कुछ खास चेहरे सियासी रण में हैं। हिमाचल प्रदेश में कुल चार लोकसभा सीटें हैं। शिमला, हमीरपुर, मंडी और कांगड़ा चारों ही सीटें २०१४ और फिर २०१९ में भी भाजपा के पास थीं। माना कि इस बार भी भाजपा क्लीन स्वीप का दावा कर रही हो, लेकिन इस सच्चाई को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि भाजपा के लिए ४-० की हैट्रिक लगा पाना आसान नहीं है या कांग्रेस इस बार भाजपा का विजय रथ रोकने की तैयारी में है। एक नजर हिमाचल की चारों सीटों के समीकरण और दोनों दलों की ताकत और कमजोरी पर!
मंडी लोकसभा सीट
हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट इस वक्त देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। वजह है भाजपा उम्मीदवार बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत कांग्रेस के शाही वंशज व हिमाचल सरकार के वैâबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बीच सियासी टक्कर है। कंगना को मोदी मैजिक और भाजपा के वैâडर का सहारा है। भाजपा के स्टार प्रचारकों, पीएम मोदी से लेकर जेपी नड्डा, अमित शाह और तमाम केंद्रीय मंत्रियों का साथ भी उन्हें मिलेगा। रामपुर बुशहर रियासत के राजा विक्रमादित्य सिंह लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं और पहली बार लोकसभा के रण में ताल ठोक रहे हैं। हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे ३४ वर्षीय विक्रमादित्य सिंह युवाओं के बीच काफी चर्चित हैं। वीरभद्र सिंह ६ बार हिमाचल के सीएम, ४ बार सांसद, केंद्रीय मंत्री रहे हैं। विक्रमादित्य सिंह की मां प्रतिभा सिंह मौजूदा समय में मंडी से सांसद हैं। २०२१ में भाजपा सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद उन्होंने उपचुनाव जीता था। वो तीसरी बार मंडी से सांसद और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हैं। पिता के नाम और उनकी सियासी विरासत विक्रमादित्य सिंह के हाथ है। मौजूदा समय में हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है, जिसका फायदा विक्रमादित्य सिंह को मिल सकता है। कांग्रेस के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू समेत राज्य सरकार के मंत्री मंडी में विक्रमादित्य सिंह के लिए वोट मांग रहे हैं और कुछ दिन बाद राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के स्टार प्रचारक भी इस रण में दिखेंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ये सारी बातें विक्रमादित्य सिंह के पक्ष में हैं और उन्हें इसका फायदा मिलेगा।
हमीरपुर लोकसभा सीट
हमीरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के विधायक सतपाल रायजादा और नरेंद्र मोदी के ब्ल्यू आइड ब्वॉय अनुराग ठाकुर आमने-सामने हैं। अनुराग ठाकुर लगातार ४ बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं और पांचवी बार जीत का दावा कर रहे हैं। वो हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं और उनके भाई अरुण धूमल मौजूदा समय में आईपीएल के चेयरमैन हैं। हमीरपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को टिकट दिया है। २०१७ के हिमाचल विधानसभा चुनाव में सतपाल रायजादा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती को पटखनी दे चुके हैं। २०२२ में वो चुनाव हार गए, लेकिन पार्टी ने इस बार उन्हें अनुराग ठाकुर के सामने उतारा है। सियासी जानकार मानते हैं कि राज्य में कांग्रेस की सरकार का साथ रायजादा को मिल रहा है। हमीरपुर सीट कांग्रेस ही नहीं भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित होगी।
कांगड़ा लोकसभा सीट
कांगड़ा लोकसभा सीट पर दो ब्राह्मण चेहरे आमने-सामने हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार आनंद शर्मा और भाजपा के डॉ. राजीव भारद्वाज। कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को चुनाव मैदान में उतारकर कांगड़ा की जंग को दिलचस्प बना दिया है। आनंद शर्मा भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे आनंद शर्मा पर कांग्रेस के इस दांव को सियासी जानकार अच्छा मूव बता रहे हैं। भाजपा ने यहां अपने प्रदेश उपाध्यक्ष से डॉ. राजीव भारद्वाज को मैदान में उतारा है। भले ही भारद्वाज काफी लंबे अरसे से भाजपा के साथ जुड़े रहे हैं, लेकिन पहली बार चुनाव मैदान में उतर रहे हैं।
शिमला लोकसभा सीट
ये हिमाचल प्रदेश की इकलौती एससी सीट है। यहां पर कांग्रेस ने मौजूदा विधायक विनोद सुल्तानपुरी और भाजपा ने मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। २०२२ में सुल्तानपुरी सीट से पहली बार विधायक बने और अब लोकसभा के रण में उतर गए हैं। उनके पिता केडी सुल्तानपुरी शिमला लोकसभा सीट से लगातार ६ बार सांसद रहे, जो एक रिकॉर्ड है। सियासी जानकारों के मुताबिक, कांग्रेस ने शिमला सीट पर विनोद सुल्तानपुरी को टिकट देकर दांव तो शानदार चला है, जो भाजपा को पटखनी दे सकता है। सुरेश कश्यप भारतीय वायुसेना में सेवाएं दे चुके हैं। २०१९ में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और संसद पहुंचे सुरेश कश्यप के लिए यह जंग आसान नहीं।
भाजपा उम्मीदवारों को मोदी और कांग्रेसियों को अपनी सरकार का सहारा
सियासी पंडित अब मानने लगे हैं कि २०१४ और २०१९ की तरह इस बार मोदी मैजिक का तिलिस्म भी भाजपा को सहारा नहीं दे सकेगा। हिमाचल के भाजपा उम्मीदवारों व्ाâे साथ भी कमोबेश की स्थिति है। कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए सबसे बड़ा सहारा हिमाचल में कांग्रेस की सरकार है। सरकार की ओपीएस और महिलाओं को १,५०० रुपए देने जैसी योजनाओं के नाम पर कांग्रेस वोट मांग रही है, लेकिन भाजपा इस बार इस मामले में बैकफुट पर नजर आ रही है। कुल मिलाकर इस बार हिमाचल की सियासी फिजा में २०१४ और २०१९ जैसी बयार नहीं दिखाई पड़ रही, जिसका सीधा असर चुनावी नतीजों पर दिखाई पड़ेगा। कांग्रेस के लिए माहौल खुशनुमा माना जा सकता है।