सुलतानपुर शहर में भूमाफियाओं पर पुलिस मेहरबान
चार दिन बाद भी गिरफ्त से दूर नामजद हिस्ट्रीशीटर
पुलिस ने घोषित किया अभियुक्त पर इनाम
पुलिस निष्क्रियता से नाखुश अधिवक्ता समुदाय हड़ताल पर
विक्रम सिंह / सुल्तानपुर
योगीराज में भी भूमाफियाओं से गलबहियां करने वाली यूपी की सुलतानपुर पुलिस दुस्साहसिक अधिवक्ता हत्याकांड को लेकर सवालों के घेरे में आ गई है। सरेशाम घटित इस वारदात को चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन न मुख्य आरोपी गिरफ्त में आया और न ही योगी का बुलडोजर गरजा। युवा साथी की मौत से गमगीन जिले भर का अधिवक्ता समुदाय हड़ताल पर है। रोजाना प्रदर्शन और सभा का दौर जारी है, लेकिन नतीजा शून्य है।
बताते चलें कि गत रविवार को सरेशाम देहात कोतवाली अंतर्गत नेकराही निकट युवा अधिवक्ता आजाद अहमद व उनके सगे छोटे भाई मुनव्वर पर अयोध्या-प्रयागराज बाईपास स्थित एक चाय की दुकान के सामने असलहों से लैस हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां दागी थीं। अधिवक्ता आजाद ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था, जबकि गंभीर रूप से जख्मी छोटा भाई मुनव्वर अस्पताल में अभी भी जिंदगी के लिए जंग लड़ रहा है। पुलिस के मुताबिक, अधिवक्ता के भाई से प्रापर्टी डीलिंग में लेन-देन को लेकर अधिवक्ता के भाई से हमलावर हिस्ट्रीशीटर सिराज अहमद का विवाद चला आ रहा था। इसी कारण दोनों पक्षों में कहा-सुनी के बाद वारदात घटित हुई। फिलहाल, घटना के बाद से सुलतानपुर में पुलिस-भूमाफिया और सत्तातंत्र का गठजोड़ उजागर हो गया है। अपराधियों को पोषित करने वाले कई नेताओं की भूमिका सवालों के घेरे में हैं। वकील समुदाय आंदोलित है। पुलिस बचाव की मुद्रा में है। अभी तक वारदात करने वाले हार्डकोर अपराधी व उनके साथियों की गिरफ्तारी में नाकाम पुलिस ने मुख्य अपराधी सिराज पर २५,००० रुपए का इनाम घोषित कर दिया है। एसपी सोमेन बर्मा ने बताया कि आरोपियों की धरपकड़ के लिए चार टीमें गठित की गई हैं। उनका दावा है कि हम चौकन्ने हैं और जल्द ही हमें कामयाबी मिलेगी। उधर वकीलों ने सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी होने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल के संकेत दे दिए हैं।
भूमाफियाओं से गलबहियां कर रही पुलिस
योगी सरकार के दावे कुछ भी हों, लेकिन सुलतानपुर शहर व आस-पास के ग्रामीणांचल में भूमाफिया-पुलिस गठजोड़ चर्चा में है। अधिवक्ता हत्याकांड से पुलिस कार्यशैली की कलई खुल गई है। आए दिन जमीन कब्जे की वारदातों पर उठने वाले सवालों को झूठी दलीलों से शांत कर देने वाली पुलिस इसका जवाब नहीं दे पा रही है कि कुछ दिनों पूर्व तक जिला बदर रहने वाले हिस्ट्रीशीटर सिराज व उसके साथी कैसे खुलेआम इतनी बड़ी वारदात करने की हिम्मत जुटा सके! कहां और कैसी प्रापर्टी डीलिंग में दोनों पक्षों के मध्य विवाद चल रहा था? फिलहाल, इस हाई प्रोफाइल केस ने योगी सरकार के दावों की धज्जियां उड़ाकर रख दी हैं।