• मरीजों की बढ़ी परेशानी
• विशेष वॉर्ड की नहीं है तैयारी
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मनपा के प्रमुख अस्पतालों में से एक केईएम की कारस्तानी का खामियाजा यहां आनेवाले मरीजों को उठाना पड़ रहा है। बारिश का मौसम शुरू होते ही नागरिकों के साथ-साथ केईएम अस्पताल भी बीमार होने जैसी स्थिति में है। अस्पताल में अभी तक विशेष वॉर्ड तैयार नहीं किया गया है, जबकि इस समय मौसमी बीमारियां तेजी से पांव पसारने लगी हैं। रोजाना मौसमी बीमारियों के शिकार हुए मरीज इलाज कराने के लिए शहर के विभिन्न अस्पतालों समेत केईएम में पहुंच रहे हैं। हालांकि, सुविधाओं के अभाव और असुविधाओं का अंबार लगने के चलते मरीजों और उनके परिजनों की परेशानियां बढ़ गई हैं। इन परेशानियों को हल करने की जहमत न तो मनपा और न ही अस्पताल प्रशासन उठा रहा है, जो लोगों को हैरान कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि साल १९२६ में स्थापित केईएम अस्पताल में मुंबई और महाराष्ट्र समेत देश के विभिन्न हिस्सों से इलाज कराने के लिए आनेवाले मरीजों और उनके परिजनों के चलते यहां हमेशा भीड़ लगी रहती है। करीब २,२५० बेड वाले इस अस्पताल में करीब ३९० प्रोफेसर और ५५० रेजिडेंट डॉक्टर कार्यरत हैं। ओपीडी और आईपीडी में रोजाना करीब दो से ढाई हजार मरीजों का इलाज किया जा रहा है। हालांकि, वर्तमान समय में यह अस्पताल कई जरूरी सुविधाओं की कमी की मार से कराह रहा है। अस्पतालों में भर्ती होनेवाले और ओपीडी में आनेवाले मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि मरीजों को लंबी तारीख मिलने के चलते मरीजों को सिटी और एमआरआई स्वैâन बाहर से कराना पड़ रहा है। दूसरी तरफ केईएम में इलाज के लिए आनेवाले मरीजों को दवाएं नि:शुल्क देने का पैâसला लिया गया है। हैंडग्लोज, सलाइन और दवाएं नि:शुल्क प्रदान किए जाते हैं। लेकिन बीते कई महीनों से अस्पताल कई जरूरी दवाओं की किल्लत से जूझ रहा है। इस वजह से मरीजों और उनके रिश्तेदारों को चिकित्सकों द्वारा लिखी गई दवाएं अस्पताल में न मिलने के चलते उन्हें मेडिकल स्टोरों से खरीदनी पड़ रही हैं। अस्पताल के कॉरिडोर में पंखा नहीं है। शौचालयों और वॉर्डों में साफ-सफाई का अभाव होने से चारों तरफ गंदगी पैâली हुई है।
पेड बेड योजना `बैड’
मनपा के केईएम अस्पताल में पिछले साल शुरू हुई `पेड बेड योजना’ का मकसद वॉर्ड में भर्ती होनेवाले मरीजों को निजी अस्पतालों जैसा खुशनुमा माहौल और सुविधाएं मुहैया कराना था। लेकिन वॉर्ड में भर्ती होनेवाले मरीजों से जांच और इलाज के नाम पर दोगुना शुल्क वसूला जा रहा है, जबकि उन्हें पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। इस वॉर्ड में कर्मचारियों की कमी है। यहां आनेवाले मरीजों का कहना है कि निजी वार्ड की जानकारी लोगों को आसानी से नहीं मिल पाती है। इस वार्ड में कर्मचारियों की कमी है। इतना ही नहीं यहां काम करने वाले डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ ही यह नहीं चाहता है कि वॉर्ड में कोई मरीज भर्ती हो, क्योंकि मरीज के भर्ती होने पर उनका काम बढ़ जाता है।
मौसमी बीमारियों को लेकर लापरवाह अस्पताल
अस्पताल में आनेवाले मरीजों का कहना है कि शनिवार से मुंबई में बारिश शुरू हो गई है। यह बारिश बीमारियां भी अपने साथ लेकर आई है। रोजाना डेंगू, मलेरिया, टायफाइड, लेप्टो, हैस्ट्रो जैसे रोगों के शिकार लोग इलाज कराने के लिए केईएम समेत मुंबई के विभिन्न अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। हालांकि, अस्पताल की तरफ से बीमारियों से दो हाथ करने की तैयारी नहीं की गई है। बताया गया है कि हर साल बारिश में केईएम अस्पताल में विशेष वॉर्ड तैयार किया जाता है लेकिन इस बार ऐसी कोई तैयारी नहीं की गई है। ऐसे में आनेवाले दिनों में मरीजों के लिए संकट और बढ़ सकते हैं।
सर्जरी के लिए दो महीने की वेटिंग
बताया गया है कि मरीजों को अस्पताल में सर्जरी के लिए दो महीने की तारीख दी जा रही है। दो महीने की वेटिंग के बाद भी मरीज की सर्जरी हो जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, सर्जरी के लिए आनेवाले मरीजों के साथ अजब खेल हो रहा है। बताया गया है कि सर्जरी के लिए मरीजों को पहले भर्ती किया जाता है। इसके बाद तीन से चार दिन अस्पताल में रखकर सर्जरी की अगली तारीख देकर छुट्टी दे दी जाती है। ऐसा मरीज के साथ कई बार किया जाता है। इसे लेकर मरीजों और परिजनों में खासी नाराजगी व्याप्त है।
इलाज में भी लापरवाही
मरीजों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में मेडिकल स्टाफ की तरफ से इलाज में लापरवाही बरती जा रही है। डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ का परिजनों के साथ उचित व्यवहार नहीं होता है। मरीज के बारे में पूछे जाने पर लीपापोती वाला जवाब दिया जाता है, जिसके चलते वे परेशान और हताश अवस्था में दिखाई देते हैं।