मुख्यपृष्ठनए समाचारमहंगाई की मार : भुगत रहा है कपड़ा बाजार! ... कीमतों में...

महंगाई की मार : भुगत रहा है कपड़ा बाजार! … कीमतों में २० फीसदी का उछाल

सामना संवाददाता / मुंबई
दुनिया के कपड़ा बाजार में हमेशा अग्रिम पंक्ति में रहने वाले हिंदुस्थानी कपड़ा बाजार की हालत इन दिनों काफी खराब हो गई है। रेडीमेड कपड़ों की कीमतों में १५ से २० प्रतिशत की अचानक उछाल के साथ ही बढ़ती महंगाई व बेरोजगारी का रेडीमेड कपड़ों की खरीदारी पर खासा असर पड़ा है। हाल ही में बीते ईद व अन्य त्यौहार और शादी-ब्याह के मौकों पर होने वाली कपड़ों की खरीदारी पर हमेशा के अनुपात में कम ही ग्राहक दुकानों तक पहुंचे। रेडीमेड कपड़ों की खरीदारी के लिए दुकान से ग्राहक नदारद दिखे। हालांकि, हमेशा की तरह ही इस सीजन में भी दुकानदारों ने लाखों का माल भर दिया था लेकिन बिके सिर्फ २० से २५ प्रतिशत। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि महंगाई की मार कपड़ा बाजार भुगत रहा है।
पिछले महीने मुंबई में क्लोदिंग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित फैब्रिक एसेसरीज  शो २०२३ में भी यही देखने को मिला।
रेडीमेड गारमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी और महंगाई का असर, इस शो पर भी पड़ा है। सूत्रों के अनुसार, इस वर्ष पैâब शो में २० प्रतिशत कम बिजनेस हुआ है। हालांकि, इस शो के आयोजकों ने इसे सफल बताया है, लेकिन १२,००० विजिटर्स आने के बावजूद महज २,००० करोड़ का कारोबार घोषित किया गया है। बताया जाता है कि यह पिछले वर्ष की तुलना में कम है।
ईद भी फीकी हो गई!
मुंबई के मोहम्मद अली रोड के रेडीमेड गारमेंट के दुकानदार बबलू को इस साल ईद का बेसब्री से इंतजार था। लेकिन ईद आई और चली गई, उन्हें पता तक नहीं चला। उनकी दुकान में लाखों का माल भरा का भरा रह गया। लोग काफी कम संख्या में खरीददारी करने पहुंचे, और जो पहुंचे भी उन्होंने सिर्फ एक-दो जोड़े खरीदकर ही काम चला लिया। यही हालत घाटकोपर के नई लुक दुकान का भी रहा। यहां तो लोग पहुंचे परिवार के साथ लेकिन बच्चों के कपड़े खरीद कर चल दिए। इनका भी धंधा सिर्फ २० से २५ प्रतिशत ही हुआ, जिससे इनको बहुत नुक्सान उठाना पड़ा।
कॉटन यार्न की कीमतें बढ़ीं
कॉटन यार्न की दर में हुई बढ़ोतरी के कारण रेडीमेड गारमेंट मैन्युपैâक्चर्स ने अपनी कीमतों में १५ से २० प्रतिशत का इजाफा किया है, जिससे ग्राहकों को खरीदी भारी पड़ रही है। कॉटन की बढ़ी कीमतें, रॉ मटेरियल पर बढ़ी इम्पोर्ट ड्यूटी आदि का असर ग्राहकों पर ही पड़ रहा है, जिससे वह बाजार से मुंह मोड़ रहे हैं और आखिरकार दुकानदार इसका खामियाजा भुगतने को मजबूर हो रहा है। हिंदुस्थान के लगभग ३५ मिलियन लोग इस रोजगार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। ऐसे में इस इंडस्ट्री की हालत खराब होने से इन सभी पर असर पड़ेगा। एक समय विश्व में हिंदुस्थानी रेडीमेड गारमेंट का बोलबाला होने लगा था लेकिन अब यह इस समय बड़ी मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। देश में बढ़ती महंगाई और  रॉ मटेरियल की कीमत इसी तरह बढ़ती रही तो जल्द ही इस इंडस्ट्री के लोग दूसरी ओर और पलायन करते नजर आएंगे।

अन्य समाचार