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हिट कर रहा हीटस्ट्रोक! …राज्य में दो की ली जान

ऊष्माघात क्लिनिक की हुई स्थापना

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई समेत महाराष्ट्र में इस साल अभी से ही मई जैसी गर्मी पड़ने लगी है। गर्मी की तपिश से पूरा प्रदेश झुलस रहा है। ऐसे में यह हीटस्ट्रोक लोगों को ही हिट करने लगा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अप्रैल माह की शुरुआत में ही प्रदेश में लू से दो लोगों की मौत हो चुकी है। जलगांव में एक किसान की मौत के बाद अब हिंगोली में लू लगने से एक पांच साल की बच्ची की जान चली गई है। इन परिस्थितियों को देखते हुए राज्य में ऊष्माघात क्लिनिक की स्थापना हुई है।
उल्लेखनीय है कि अभी कुछ दिनों पहले देश के कई राज्यों के किसान भारी बारिश और ओलावृष्टि से परेशान थे। प्रभावित होनेवाले राज्यों में महाराष्ट्र भी शामिल है। यहां के किसानों को ओलावृष्टि के चलते भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस दौरान प्रदेशभर के तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई थी। इसके बाद अब राज्य में सूरज की तपिश ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और एक बार फिर से मौसम बदलता नजर आ रहा है। मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई इलाकों के तापमान में एक बार फिर से इजाफा देखने को मिल रहा है।
पांच जिलों में पारा ४० के पार
अभी अप्रैल का दूसरा सप्ताह चल रहा है। इस दौरान प्रदेश के चंद्रपुर में पारा ४२ डिग्री को पार कर चुका है। इसके साथ ही ठाणे, पुणे, जलगांव, अमरावती, अकोला, यवतमाल, वाशिम, गोंदिया और वर्धा में तापमान ४० डिग्री से ऊपर दर्ज किया गया। इसके अलावा विदर्भ के गडचिरौली, बुलढाणा और नागपुर में भी तापमान ३७ से ३९ डिग्री के बीच दर्ज किया जा रहा है। इससे शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भीषण गर्मी से सहम गए हैं। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से घर से बाहर निकलते समय उचित सावधानी बरतने और लू से बचाव के उपाय करने की अपील की है।
मौतों का आंकड़ा
पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो २०२२ में प्रदेश में लू से २५ लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह २०२० और २०२१ में यह आंकड़ा शून्य था, वहीं साल २०१९ में ९ और साल २०१८ में दो ने जान गंवाई थी।
इन्हें है खतरा
६५ वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, एक वर्ष से कम और एक से पांच वर्ष की आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं, मधुमेह, हृदय रोग और शराबियों को हीटस्ट्रोक का अधिक खतरा रहता है। इसके अलावा अत्यधिक गर्म वातावरण में काम करने वाले व्यक्तियों में हीटस्ट्रोक का खतरा रहता है। इसी तरह धूप में, कारखानों में बॉयलरों के पास, कांच के कारखानों में और उच्च तापमान वाले कमरों में लगातार काम करते रहने से हीटस्ट्रोक के शिकार हो सकते हैं।
हीटस्ट्रोक उपचार क्लिनिक स्थापित
हीट स्ट्रोक और गर्मी से संबंधित विभिन्न विकारों को रोकने और नियंत्रित करने के लिए राज्य के सरकारी, मनपा और जिला अस्पतालों में हीटस्ट्रोक उपचार क्लिनिक स्थापित किए गए हैं। राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि चिकित्सा अधिकारियों को हीटस्ट्रोक के मरीजों की तत्काल इलाज और जांच का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रदेश में हर साल एक मार्च से ३१ जुलाई के बीच लू के मरीजों की संख्या बढ़ने का खतरा रहता है। इसे देखते हुए इसे नियंत्रित करने के उपाय किए गए हैं।

हीटस्ट्रोक के लक्षण
हीटस्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति के शरीर का तापमान बेकाबू हो जाता है। शरीर का तापमान बढ़ने के बाद भी पसीना नहीं आता है। साथ ही लगातार मितली और उल्टी भी हो सकती है। त्वचा पर लाल निशान, दाने दिखाई दे सकते हैं। दिल तेजी से धड़कता है। सिरदर्द बना रहता है। मानसिक स्थिति बिगड़ने लगती है। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह मौत का कारण बन सकता है। गर्मी का प्रकोप दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। सुबह आठ बजे से ही सूर्यनारायण आग उगल रहे हैं इसलिए सभी को सावधान रहने की जरूरत है।

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