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होली गीत (फगुआ) … यूपी क हलिया बताई पिया, तोहइं यूपी क हलिया बताई

सुरेश मिश्र
प्रियतम को मुंबई गए बारह महीने बीत गए। पूजा-पाठ करवा लिया, देवी-देवताओं की मनौती मानी। घूरे बाबा को पूड़ी चढ़ाई। मगर साजन न आए। पूरा सावन सखियां प्रियतम के साथ कजरी गाती रहीं, झूला झूलती रहीं मगर विरहिणी विरह व्यथा में झुलसती रही। पहले तो बलम मोबाइल फोन उठाया करते थे मगर अब तो वे फोन भी नहीं उठाते। जब से फागुन लगा है तब से गांव का माहौल ही बदल गया है। हर तरफ हुड़दंग मचा हुआ है। लोग एक-दूसरे पर रंग-गुलाल डाल रहे हैं। गांव के छिछोरे तो आती-जाती छोरियों का जीना हराम किए हैं। आए दिन खबर लगती है कि कहीं बाइक चोरी हो गई, कहीं छिनैती हो रही है। अभी हाल ही में यूपी में कई घटनाएं घटी हैं, जिन्हें लेकर पत्नी तनाव में है। फागुन बीतने को है। फसलें तैयार हैं। कटाई और मड़ाई का सिलसिला चालू हो गया है। एक दिन प्रियतम ने फोन कर पूछा कि क्या हाल-चाल है? तो विरहिन ने बताया-

यूपी क हलिया बताई पिया,
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

गुंडन के पीछे पुलिसिया परल बा
रुपिया से भ्रष्टन क झोलिया भरल बा
नेतवन के पीछे सीबीआई पिया
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

बाटइ बड़ी जग हंसाई पिया,
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

पुलिया पे हर रोज होला छिनैती
बाइक छिनात अहय बिना कौनो सइती
लूटि लेइं कट्टा देखाई पिया,
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

बात-बात पे हाथापाई पिया,
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

ठेका शराबे क बा हर बजरिया
गुटखा ठुंसल बा मुहां में उधरिया
लरिके करइं ना पढ़ाई पिया
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

वाटसप पे हएन पगलाई पिया,
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

रोवइं किसाने बचावा हे दइया
चरि गइलेन सगरी फसल नील गइया
कइसे हम घरवा चलाई पिया
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

बाबा किहेन बेवफाई पिया
तोहइं यूपी का हलिया बताई।

बुलडोजर बाबा के ना बा खबरिया
टूटइ बस बाहुबली वाली बखरिया
छोटकेन के न बा सुनवाई पिया
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

हर केउ बनत बाटइ भाई पिया,
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

थर-थर, थर-थर कांपइ संगम नगरिया
कइसे उठइ बोला हमसी पिचकरिया
होत अहइ चुनि-चुनि धोवाई पिया
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

कइसे केउ संगम नहाई पिया,
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

परदेसी तोहरा क का-का बताई
मुड़वा पे नाचत बा चढ़ि-चढ़ि महंगाई
मुश्किल में बाटइ लुगाई पिया
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

सिसकत अहिन तोहरी माई पिया,
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

हे सइयां केतना सहइब्या कलेश हो
फागुन बितल अब तउ आवा `सुरेश’ हो
चालू बा सब कइ कटाई पिया
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

जिनगी बनी जाए खाईं पिया,
तोहइं यूपी क हलिया बताई।

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