टीके से हारेगा रोग
सामना संवाददाता / मुंबई
दुनियाभर में एड्स के खिलाफ चल रही लड़ाई में सफलता को लेकर वैज्ञानिकों में उम्मीद जगी है। अमेरिका के ड्यूक ह्यूमन वैक्सीन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एचआईवी वैक्सीन सफल परीक्षण किया है। शोधकर्ताओं को पहली बार टीकाकरण के माध्यम से एचआईवी के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी को सक्रिय करने में सफलता मिली है। इस सफल खोज के बाद आने वाले समय में यह जानलेवा रोग एक टीके से हारेगा।
उल्लेखनीय है कि जर्नल सेल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया कि वैक्सीन कोशिका के बाहरी क्षेत्र को लक्षित करता है। वायरस इसी क्षेत्र में सबसे पहले हमला करता है। ऐसी स्थिति में एंटीबॉडी एचआईवी संक्रमण को रोकता है। इंस्टीट्यूट के निदेशक और वरिष्ठ लेखक डॉ. बार्टन एफ. हेन्स ने कहा कि एचआईवी के शोध की दिशा में यह बड़ा कदम है। इस वैक्सीन के साथ एंटीबॉडी उत्पन्न होती है, जिससे साफ है कि यह एचआईवी को बेअसर करने में कारगर है। इस पर अभी और भी शोध की जरूरत है, लेकिन आगे का रास्ता बेहद साफ है।
ऐसे किया टेस्ट
परीक्षण के दौरान एचआईवी नेगेटिव २० व्यक्तियों को टीके की दो से तीन खुराकें दी गर्इं। इस टीके को डॉ. एस. मुनील आलम और हेन्स ने विकसित किया। टीके की दो खुराकों के बाद ९५ फीसदी सीरम और १०० फीसदी सीडी४ टी-सेल ने प्रतिक्रया शुरू कर दी। इससे संकेत मिलता है कि इससे मजबूत प्रतिरक्षा शुरू हो गई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मोटे तौर पर निष्क्रिय करनेवाले एंटीबॉडी ने प्रारंभिक खुराक के कुछ हफ्तों में ही काम करना शुरू कर दिया था। इस प्रतिक्रिया में आम तौर पर सालों लग जाते हैं।
कुछ हफ्तों के भीतर उत्पन्न कर सकते हैं तटस्थ एंटीबॉडी
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मोटे तौर पर निष्क्रिय करनेवाले एंटीबॉडी प्रारंभिक खुराक के कुछ हफ्तों के भीतर प्रेरित हो गए थे। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आमतौर पर प्राकृतिक एचआईवी संक्रमण के बाद वर्षों लग जाते हैं। डॉ. विल्टन विलियम्स ने कहा कि यह देखना बहुत रोमांचक था कि इस वैक्सीन अणु के साथ हम वास्तव में कुछ हफ्तों के भीतर तटस्थ एंटीबॉडी उत्पन्न कर सकते हैं।
इसलिए रोकना पड़ा था परीक्षण
एक प्रतिभागी में गैर जीवन घातक एलर्जी प्रतिक्रिया के कारण परीक्षण रोक दिया गया था। हालांकि, शोधकर्ताओं ने अन्य आशाजनक विशेषताओं पर ध्यान दिया। इस कारण उन्हें काफी हद तक सफलता मिली है।