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बदलाव की उम्मीद

फिल्म ‘क्रू’ की उपलब्धि को हिंदी सिनेमा के एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखनेवाली कृति सेनन ने एक इंटरव्यू में कहा कि ‘दर्शकों को थिएटर तक खींचने के लिए एक फिल्म में किसी हीरो का रोल होना बहुत जरूरी नहीं है। काफी लंबे समय से लोगों ने पुरुष-केंद्रित फिल्मों की तरह महिला प्रधान फिल्मों को अपनाने का जोखिम नहीं उठाया है। उन्हें लगता है कि दर्शक थिएटर नहीं आएंगे और उन्हें पैसे नहीं मिलेंगे। हालांकि, अब समय बदल गया है और लोगों की सोच भी काफी बदल गई है।’ हालांकि, फिल्म ‘क्रू’ की सफलता पर बात करते हुए कृति ने कहा, ‘यह एक तरह की शुरुआत है। मैं कम से कम एक बदलाव की उम्मीद कर रही हूं। लोगों को ऐसी फिल्मों से बहुत उम्मीदें नहीं हैं। लोगों का विश्वास कम है। चीजों को बदलने के लिए उस विश्वास को मजबूत होने की जरूरत है। यदि आप एक फिल्म में उतना ही निवेश करते हैं जो आप डंकी पर करते हैं तो जाहिर है कि महिला प्रधान फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कलेक्शन करेंगी।’ संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के बारे में बात करते हुए कृति ने कहा कि यह फिल्म भी एक महिला केंद्रित फिल्म थी, लेकिन आज भी लोग इस फिल्म को देखना काफी पसंद करते हैं। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी सफलता का परचम लहराया था।

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