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घातियों के पास कैसे पहुंचा भूमि अधिग्रहण घोटाले का पैसा? … सबूतों के साथ करेंगे साबित-संजय राऊत ने किया बड़ा दावा

सामना संवाददाता / मुंबई
भूमि अधिग्रहण घोटाला और उससे ८०० करोड़ रुपए की हेरा-फेरी की गई। नासिक में अपने करीबी बिल्डरों को भूमि अधिग्रहण के नाम पर ८०० करोड़ रुपए की खैरात बांटी गई। भूमि अधिग्रहण घोटाले के माध्यम से ये पैसे मनी लॉन्ड्रिंग करके फडणवीस और घाती गुट के पास वैâसे पहुंचे, इसकी जानकारी मैंने निकाल ली है। इसे हम सबूतों के साथ न केवल साबित करेंगे, बल्कि बाकायदा शिकायत भी करेंगे। इस तरह का दावा शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने किया है। इस दौरान उन्होंने सवाल पूछा कि मराठी माणूस के लिए निकम्मी फडणवीस की शिवसेना क्या कर रही है?
मीडिया से बात करते हुए शिवसेना नेता व सांसद संजय राऊत ने कहा कि नगरविकास विभाग मुख्यमंत्री के पास रहते हुए सभी मनपा क्षेत्रों में इस तरह के घोटाले हुए हैं। इस समय महाराष्ट्र की राजनीति में किसके जरिए पैसे आ रहे हैं, इसका पर्दाफाश मैं करूंगा। नासिक में भूमि अधिग्रहण के नाम पर ८०० करोड़ रुपयों को अनुचित मार्ग से इकट्ठा किया गया। जनता और करदाताओं के पैसों को सरकारी तिजोरी से निकालकर अपने करीबी बिल्डरों को ८०० करोड़ रुपए दिए गए। यह पैसा मनी लॉड्रिंग के जरिए फडणवीस शिवसेना गुट के पास वैâसे पहुंचा? इसे दो दिनों में सबूतों के साथ सार्वजनिक करूंगा। उन्होंने कहा कि इससे पहले की सरकार में भी नगरविकास मंत्री वही थे और अभी भी वही हैं। यहां शिवसेना फडणवीस गुट से संबंधित १७-१८ बिल्डर हैं। उन बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए भूमि अधिग्रहण की दरें लगाई गर्इं। संजय राऊत ने कहा कि राज्य में किसान संकटों से जूझ रहे हैं, उन्हें अभी तक मदद नहीं मिली। लेकिन बिल्डरों को पैसे जरूर मिल गए। ये बिल्डर घाती और फडणवीस गुट के खास गुर्गे हैं। समृद्धि महामार्ग और एमआईडीसी के भूमि अधिग्रहण में भी यही हो रहा है। इस समय मैं नासिक मनपा के भूमि अधिग्रहण मामले का पर्दाफाश कर रहा हूं। राज्य में ऐसे कई मामलों से लूट चल रही है। इस तरह का आरोप भी उन्होंने लगाया।
महाराष्ट्र और मराठी लोगों के विरोध की इस साजिश के खिलाफ लड़ेंगे
मुंबई की एक गुजराती कंपनी ने कहा था कि मराठी लोग आवेदन न करें। मराठी लोगों को महाराष्ट्र में नौकरियों के लिए आवेदन नहीं करना चाहिए, इस तरह जब एक कंपनी कह रही है, तो असली शिवसेना कहनेवालों ने इसके खिलाफ क्या किया। मराठी माणूस के सही अधिकारों के लिए शिवसेना का गठन किया गया था। हालांकि उस समय सरकार और खुद को असली शिवसेना कहनेवाला घाती गुट क्या कर रहा था। यदि उनमें साहस है तो वे इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे अन्यथा हम स्टैंड लेने में सक्षम हैं। घाटकोपर में गुजराती बहुल सोसायटी में मराठी होने के कारण शिवसैनिकों को रोका गया। महाराष्ट्र में जब ऐसी घटनाएं हो रही हैं, तब फडणवीस की शिवसेना निकम्मी सेना बन गई है। यह कीड़ों की एक सेना है। मराठी व्यक्ति का जब अपमान हो रहा है, ऐसे समय वे क्या कर रहे हैं? यह मराठी व्यक्ति के स्वाभिमान का सवाल है। हम महाराष्ट्र और मराठी लोगों के विरोध की इस साजिश के खिलाफ लड़ेंगे।
देश के लिए शहीद हुए हैं हेमंत करकरे
संजय राऊत ने कहा कि आतंकियों से मुठभेड़ में हेमंत करकरे शहीद हुए हैं। उस हमले में करकरे के साथ-साथ कामटे, सालसकर भी शहीद हो गए। वे हेमंत करकरे पर संदेह जता रहे हैं। करकरे और आरएसएस के बीच कुछ मतभेद थे इसलिए ऐसा मुद्दा उठाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि विजय वडेट्टीवार ने इस पर बयान दिया है। हालांकि, ‘हू किल्ड करकरे’ नामक किताब में इसका जिक्र है। इसलिए पुस्तक के लेखक एस. एन. मुश्रीफ से पूछताछ होनी चाहिए। करकरे ने साध्वी प्रज्ञा सिंह, कर्नल पुरोहित, स्वामी दयानंद को गिरफ्तार किया था। वे सभी संघ के करीबी थे इसलिए ऐसी थ्योरी गढ़ी गई। हालांकि, संजय राऊत ने यह भी स्पष्ट किया कि वे इस पर विश्वास नहीं करते हैं। हेमंत करकरे देश के लिए शहीद हुए हैं। राऊत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह उनकी राय है।
दूसरों पर आरोप लगाना भाजपा और फडणवीस की नीति
भाजपा का आरोप है कि शिवसेना ने उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश की थी। इस बारे में पूछे जाने पर संजय राऊत ने कहा कि उन्होंने हमारे और राकांपा के ४० विधायक क्यों तोड़े, वे इस पर क्यों नहीं बात कर रहे हैं? खुद गोबर खाए हैं और दूसरों का मुंह सूंघ रहे हैं। दूसरों पर आरोप लगाना भाजपा और फडणवीस की नीति है, ऐसा भी संजय राऊत ने कहा।

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